एनसीपी के पूर्व सांसद त्रिपाठी के निधन पर पवार ने जताया शोक, हरिवंश बोले - संघर्ष और आंदोलन से बने थे नेता

एनसीपी के पूर्व सांसद त्रिपाठी के निधन पर पवार ने जताया शोक, हरिवंश बोले - संघर्ष और आंदोलन से बने थे नेता

Tejinder Singh
Update: 2020-01-02 15:27 GMT
एनसीपी के पूर्व सांसद त्रिपाठी के निधन पर पवार ने जताया शोक, हरिवंश बोले - संघर्ष और आंदोलन से बने थे नेता

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व सांसद डीपी त्रिपाठी के निधन पर शोक जताया है। पवार ने ट्वीट कर लिखा कि त्रिपाठी स्थापना के सयम से ही राकांपा के साथ थे। उनका निधन मेरे लिए निजी क्षति है। पवार के अलावा राज्यपाल भगत सिंग कोश्यारी और सांसद सुप्रिया सुले ने भी त्रिपाठी के निधन पर शोक जताया है। पवार ने अपने ट्वीट में लिखा है कि राकांपा महासचिव डीपी त्रिपाठी के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ। वह राजनीति में परिश्रम और बुद्धिमत्ता के सही मिश्रण थे। प्रवक्ता और महासचिव के तौर पर वे पार्टी की दृढ़ आवाज बने। पवार ने एक और ट्वीट में लिखा कि त्रिपाठी ने राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में बेहद अहम भूमिका निभाई। उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत छति है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें। राज्यपाल कोश्यारी ने अपने शोक संदेश में त्रिपाठी के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वे उच्च विद्याविभूषित और सुसंस्कृत व्यक्तित्व के मालिक थे। उनसे मेरी घनिष्टता थी और वे नेपाल में भी बेहद लोकप्रिय थे। सभी पार्टियों में त्रिपाठी के दोस्त थे और उनके निधन से हमने एक बेहतरीन सांसद गंवा दिया है। वहीं सुप्रिया सुले ने ट्वीट कर लिखा है कि डीपी त्रिपाठी के निधन के बारे में सुनकर गहरा दुख हुआ है। वे हमारे मार्गदर्शक और संरक्षक थे। ईश्वर उनकी आत्म को शांति दें। महाराष्ट्र के ग्रामीण विकास मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि त्रिपाठी के निधन से ऐसा खालीपन पैदा हो गया है जिसे भरा नहीं जा सकता। राकांपा ने अपना वरिष्ठ मार्गदर्शक हमेशा के लिए खो दिया। राकांपा के प्रमुख प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि राज्यसभा के पूर्व सदस्य त्रिपाठी ने पार्टी का आधार बनाने में बहुमूल्य योगदान दिया। 

राकांपा के पूर्व सांसद का नई दिल्ली में निधन 

लंबी बीमारी के बाद त्रिपाठी ने 67 वर्ष की उम्र में राजधानी नई दिल्ली के मैक्स अस्पताल में आज अंतिम सांस ली। वे राकांपा सुप्रीमों शरद पवार के सबसे निकट लोगों में से एक थे। शरद पवार ने उन्हें वर्ष 2012 में राकांपा कोटे से राज्यसभा में भेजा था। वर्ष 2018 तक वे उच्च सदन के सदस्य रहे। अंतिम समय तक वे राकांपा के महासचिव बने रहे। डी पी त्रिपाठी के निधन पर राकांपा सुप्रीमों शरद पवार के अलावा पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और राकांपा सांसद सुप्रिया सुले ने गहरा दुख जताया है। सुप्रिया सुले ने अपने शोक संदेश में कहा कि डी पी त्रिपाठी के निधन की खबर सुनकर उन्हें धक्का लगा है। वे राकांपा के महासचिव और हम सभी के मार्गदर्शक थे। सुले ने कहा कि हम उनके परामर्श और मार्गदर्शन को याद करेंगे जो उन्होने राकांपा की स्थापना होने के बाद से दिया है। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें। पूर्व केन्द्रीय मंत्री व राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल ने भी डी पी त्रिपाठी के निधन पर दुख जताया है। उन्होने कहा कि अपने सहयोगी डी पी त्रिपाठी के निधन से उन्हें गहरा सदमा लगा है। 29 नवंबर 1952 को उत्तरप्रदेश के सुल्तानपुर जिले के मलिकपुर गांव में जन्मे डी पी त्रिपाठी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष रह चुके हैं। उनके तीन बेटे हैं। हिंदी, अंग्रेेजी सहित कई भाषाओं पर गहरी पैठ रखने वाले डी पी त्रिपाठी एक अच्छे वक्ता थे। उन्होने अपनी राजनीति की शुरूआत कांग्रेस से की थी। कभी वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सलाहकार मंडली के अहम सदस्य थे। लेकिन बाद में उनका वहां मन नहीं लगा और वे राकांपा में शामिल हो गए। राकांपा मुख्यालय में मीडिया के कठिन-से-कठिन सवालों का जवाब देने के लिए त्रिपाठी हमेंशा तैयार रहते थे। 

संघर्ष और आंदोलन से उपजे नेता थे डीपी त्रिपाठी : हरिवंश

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने राकांपा महासचिव व पूर्व सांसद डी पी त्रिपाठी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होने कहा है कि डी पी त्रिपाठी भारतीय राजनीति में एक प्रखर बौद्धिक व प्रतिभावान नेता थे। उनके जाने से सामाजिक-राजनीतिक जीवन में एक रिक्तता आई है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। हरिवंश ने कहा कि डी पी त्रिपाठी को संसदीय राजनीति में आने से पहले पत्रकारिता के समय से ही निजी रूप में जानता रहा। बाद में राज्यसभा में आने पर उनके साथ काम करने का मौका मिला। वह संघर्ष और आंदोलन से उपजे नेता थे। जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष के रूप में वह चर्चा मंे आए थे और उसके बाद संसदीय राजनीति में आने पर उन्होने अपनी अलग छाप छोड़ी। उन्होने कहा कि डीपी त्रिपाठी एक ओजस्वी वक्ता थे। उनका कृतित्व उन्हें हमेशा अमर रखेगा।

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