देश के टॉप 3 टाइगर रिजर्व MP के, पेंच, कान्हा और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व ने मारी बाजी

देश के टॉप 3 टाइगर रिजर्व MP के, पेंच, कान्हा और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व ने मारी बाजी

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-29 08:56 GMT
देश के टॉप 3 टाइगर रिजर्व MP के, पेंच, कान्हा और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व ने मारी बाजी

डिजिटल डेस्क, सिवनी । नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनटीसीए) ने देश में मप्र के पेंच टाइगर रिजर्व को सबसे बेहतर बताया है। जबकि दूसरे नंबर पर कान्हा टाइगर रिजर्व और तीसरे नंबर पर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व है। सोमवार को एनटीसीए द्वारा जारी की गई रैंकिंग में पहले स्थान पर पेंच का नाम  रहा। इससे पहले पेंच टाइगर रिजर्व वर्ष 2010 में पहले नंबर पर था जबकि कान्हा दूसरे नंबर पर था। 2014 में कान्हा टाइगर रिजर्व पहले स्थान पर था। ज्ञात हो कि एनटीसीए हर 4 साल में सभी टाइगर रिजर्व का मूल्यांकन करती है।  मैनेजमेंट इफेक्टिवनेशन  इवेल्यूशन टीम सभी टाइगर रिजर्व का सर्वे करती है। 32 बिंदुओं पर टीम आकलन करती है। पूरी रिपोर्ट के आधार पर ही तय होता है कि किस टाइगर रिजर्व में बेहतर प्रबंधन है।

टीम का सर्वे

मूल्यांकन टीम टाइगर रिजर्व प्रबंधन में विगत 4 वर्षों में किए गए वन्यप्राणी प्रबंधन के कार्य, वन्यप्राणियों के आवास में सुधार, वन एवं वन्यप्राणियों के लिए सुरक्षा के इंतजाम, गश्ती कैम्पों का निरीक्षण, वन्यप्राणी रहवास प्रबंधन, मानव एवं वन्यप्राणी संघर्ष, वाहन, भवन, उपकरण प्रबंधन, टाइगर रिजर्व को दिए गए बजट एवं उसकी उपयोगिता, प्रबंधकीय कार्यों का प्रचार प्रसार, पर्यटन प्रबंधन और प्रबंधन में स्थानीय समुदायों की भागीदारी आदि विषयों पर मैदानी स्थिति देखती है। इस दौरान वन्यप्राणियों एवं उनके आवास स्थलों की स्थिति तथा वन एवं वन्यप्राणियों की सुरक्षा की स्थिति का भी निरीक्षण किया जाता है।

इनका कहना है

पेंच टाइगर सभी टाइगर रिजर्व में पहले स्थान पर आया है। मूल्यांकन टीम ने रैंकिंग दी है। सभी के प्रयासों से यह हो सका है।

- विक्रम सिंह परिहार, फील्ड डायरेक्टर, पेंच टाइगर रिजर्व

हाइटेक मॉनिटरिंग हो

वन विभाग का पहला कर्तव्य वन एवं वन्यप्राणियों का संरक्षण है। पर्यटन के लिए लिए जिस तरह से वन विभाग का लगाव है या धन अर्जन हो या फिर रसूखदारों को खुश करना यह वन व वन्यजीवों के लिए कहीं से भी अच्छा नहीं होता, इसलिए लिए सख्ती से नियमों का पालना कराना होगा। इसके लिए वन विभाग व पर्यटक सभी में जीपीएस लगाना चाहिए। इसकी हाईटेक मॉनिटरिंग कराई जाए।

-  अजय दुबे, वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट, भोपाल

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