यहां लोग कचरे से बना रहे जैविक खाद, मुक्ति फाउंडेशन की पहल

यहां लोग कचरे से बना रहे जैविक खाद, मुक्ति फाउंडेशन की पहल

Anita Peddulwar
Update: 2018-04-09 05:40 GMT
यहां लोग कचरे से बना रहे जैविक खाद, मुक्ति फाउंडेशन की पहल

हेमंत डोर्लीकर , चंद्रपुर। घरेलू कचरे से शहर में बड़े पैमाने पर जैविक खाद तैयार करने का अभिनव प्रकल्प शुरू किया गया है। इसके तहत घरेलू कचरे का घर में ही प्रबंधन, वर्गीकरण व विघटन कर उससे जैविक उर्वरक बनाने का काम किया जा रहा है। मुक्ति फाउंडेशन द्वारा छह माह पहले शुरू हुई इस पहल से आज हजारों घर जुड़ चुके हैं। इन घरों व 10 सार्वजनिक स्थलों पर जमा होने वाले कचरे से जैविक खाद बनाई जा रही है। फाउंडेशन के 100 से अधिक महिला पुरुष इस परियोजना की मॉनिटरिंग करते हैं।  लोग अपने घर के पेड़-पौधों का इस्तेमाल कर खाद को और भी उत्कृष्ट बना रहे हैं।

मुक्ति फाउंडेशन की पहल
मुक्ति फाउंडेशन की प्रमुख मंजूषा कासनगोट्टुवार व प्रज्ञा गंधेवार ने प्रभाग क्र.1 के पार्षद सुभाष कासनगोट्टुवार के सहयोग से इस अभियान को सफल बनाया है। कासनगोट्टुवार इस पहले के बारे में बताया, ‘मेरी मां किसान है और उनसे चर्चा के दौरान यह परियोजना तैयार हुई। उनसे ही मैंने कचरे से खाद बनाने की प्रक्रिया सीखी। 10 अगस्त 2017 को हमने पहला प्रयोग किया और वह सफल होता देख 25 सितंबर से लोगों के घरों में जाकर महिलाओं को इसकी जानकारी देते हुए इसके लाभ बताए। उनसे सहयोग की अपील की। प्रकल्प सफल होता देख लोग जुड़ते चले गए। आज करीब 2 हजार घरों में यह परियोजना पहुंच चुकी है। अब शहर के अन्य प्रभागों के लोग भी सामने आकर प्रशिक्षण देने की मांग कर रहे हैं।’ 

यहां बने हैं जैविक खाद के टैंक
चंद्रपुर शहर के प्रभाग क्र.1 में बेलेवाड़ी, गणेश नगर, हनुमान नगर, महेश नगर, सराफा ले आउट, घाटे लेआउट, आकेवार वाड़ी, निर्माण नगर, सुमित्रा नगर, गोंड मोहल्ला, श्रद्धा नगर, वृंदावन नगर, राष्ट्रवादी नगर, तुलसी नगर के घरों में इस प्रकल्प पर काम हो रहा है।

यह है प्रक्रिया
घरेलू कचरे से  खाद बनाने की यह प्रक्रिया काफी आसान है।इसके लिए पहले घर के परिसर में 2 फीट लंबा व ढाई फीट चौड़ा गड्ढा बनाकर उसमें गोबर, गौमूत्र का घोल छिड़कना होता है। इसके बाद मिट्टी की थोड़ी परत व जीवाश्म कल्चर छिड़कना होता है। इसके बाद गड्ढे में घर का सूखा व गीला कचरा डालना होता है। गड्ढा पूर्ण भरने पर उसे मिट्टी से ढंक देते हैं। एक माह बाद इस गड्ढे को खोलने पर वहां अच्छे दर्जे की खाद बनी मिलती है।  जिन घरों में जमीन नहीं है, वहां मिट्टी के मटके, प्लास्टिक के कनस्तर , पुरानी टंकी आदि का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इन सबमें पहले मिट्टी की एक परत बना कर फिर अन्य प्रक्रिया करनी होती है। इस तरह भवन की किसी भी इमारत पर रहने वाला परिवार भी यह खाद बना सकता है। इससे घर में किसी प्रकार की दुर्गंध भी नहीं फैलती। 

मनपा आयुक्त, जिलाधीश ने की प्रशंसा
चंद्रपुर शहर में स्वच्छता अभियान की प्रक्रिया में इसे सबसे बेहतरीन और कामयाब प्रकल्प माना गया है। जिलाधीश आशुतोष सलील, मनपा आयुक्त संजय काकड़े व नीरी के प्रधान वैज्ञानिकों की टीम ने भी प्रकल्प की प्रशंसा की है। जिलाधीश ने प्रकल्प से निर्मित संपूर्ण खाद खरीदने की इच्छा जताई है। हालांकि लोग इसका स्वयं ही उपयोग करना चाहते हैं। जिले के बल्लारपुर, राजुरा, मूल और अन्य स्थानों से भी प्रशिक्षण की मांग उठ रही है। चंद्रपुर मनपा भी इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में स्वीकार करने के पक्ष में है।

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