नववर्ष नवरोज पर एकत्रित हुए पारसी समुदाय के लोग, इस तरह मनाया त्योहार

नववर्ष नवरोज पर एकत्रित हुए पारसी समुदाय के लोग, इस तरह मनाया त्योहार

Anita Peddulwar
Update: 2018-08-17 08:59 GMT
नववर्ष नवरोज पर एकत्रित हुए पारसी समुदाय के लोग, इस तरह मनाया त्योहार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर. पारसी समाज द्वारा शुक्रवार को पारसी नववर्ष "नवरोज" गांधी सागर के पास स्थित अग्यारी में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।  लोगों ने आपस में गले मिलकर एक- दूसरे को नव वर्ष की शुभकामनाएं दी। पारसी समुदाय के सभी लोग सुबह से ही गांधीसागर के पास स्थित धर्मशाला पहुंचने लगे थे। अग्यारी में जश्न ( यज्ञ ) किया गया। 119 वर्ष से प्रज्वलित अग्नि की पूजा- अर्चना की गई। यज्ञ द्वारा समाज और देश की सुख समृद्धि तथा खुशहाली के लिए  प्रार्थना की गई।

पारसी समुदाय में अग्नि को ईश्वर का सबसे पवित्र प्रतीक माना गया है। इस अवसर पर धर्मशाला में पूजा सामग्री फल और मिठाइयों के साथ अन्य व्यंजनों की भी विशेष पूजा की गई। नव वर्ष पर सभी लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा मे थे। पुरुष डगली और सिर पर टोपी पहने हुए थे जबकि महिलाएं गुजराती साड़ी धारण कर पहुंची। महिलाओं के सिर पर स्कार्फ बंधा हुआ था। इस अवसर पर समाज के अध्यक्ष अस्पी बापूना, उपाध्यक्ष नवरोज डावर, सचिव सिराज गिमी, पूर्व सांसद  गेव आवारी सहित बड़ी संख्या में समाज बंधु उपस्थित थे।

उल्लेखनीय है कि एक दौर था, जब पारसी समाज का एक बड़ा समुदाय हुआ करता था, लेकिन बदलाव के इस दौर में कई ने करियर और बेहतर पढ़ाई के कारण बड़े शहरों की ओर रुख किया, तो कुछ ऐसे भी हैं, जो आज भी समाज को जीवित रखे हुए हैं। अगस्त माह में पारसी समाज का नववर्ष मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 17 अगस्त 2018 को मनाया जा रहा है। पारसी नववर्ष को "नवरोज" कहा जाता है।  बदलते वक्त ने पारसी धर्म में भी जिंदगी ने कई खट्टे-मीठे अनुभव कराए, लेकिन संस्कार ही हैं जिसके दम पर आज भी अपने धर्म और इससे जु़ड़े रीति-रिवाजों को समुदाय संभाले हुए हैं। 

गौरतलब है कि पारसियों के लिए यह दिन सबसे बड़ा होता है। इस अवसर पर समाज के सभी लोग पारसी धर्मशाला में इकट्ठा होकर पूजन करते हैं। समाज में वैसे तो कई खास मौके होते हैं, जब सब आपस में मिलकर पूजन करने के साथ खुशियां भी बांटते हैं, लेकिन मुख्यतः 3 मौके साल में सबसे खास हैं। एक खौरदाद साल, प्रौफेट जरस्थ्रु का जन्मदिवस और तीसरा 31 मार्च। इराक से कुछ सालों पहले आए अनुयायी 31 मार्च को भी नववर्ष मनाते हैं। धर्म में इसे खौरदाद साल के नाम से जाना जाता है। पारसियों में 1 वर्ष 360 दिन का और शेष 5 दिन गाथा के लिए होते हैं। गाथा यानी अपने पूर्वजों को याद करने का दिन। साल खत्म होने के ठीक 5 दिन पहले से इसे मनाया जाता है।

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