जानवरों को दे रहे विषैले पेन किलर - गिद्ध की मौत के बाद हरियाणा की लैब में जांच के लिए भेजा गया था बिसरा

जानवरों को दे रहे विषैले पेन किलर - गिद्ध की मौत के बाद हरियाणा की लैब में जांच के लिए भेजा गया था बिसरा

Bhaskar Hindi
Update: 2019-12-22 13:32 GMT
जानवरों को दे रहे विषैले पेन किलर - गिद्ध की मौत के बाद हरियाणा की लैब में जांच के लिए भेजा गया था बिसरा

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। पालतू मवेशियों सहित अन्य जानवरों को अब भी पेन किलर के तौर डायक्लोफिनेक सहित अन्य घातक इंजेक्शन दिए जा रहे हैं। इस बात का खुलासा हरियाणा के पिंजोर में स्थित जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र की लैब ने किया है। दरअसल अप्रैल माह में फारेस्ट की छिंदवाड़ा रेंज में एक गिद्ध घायल अवस्था में पाया गया था। फारेस्ट के रेस्क्यू सेंटर में गिद्ध का इलाज कराया गया था। इलाज के बावजूद गिद्ध को नहीं बचाया जा सका। वेटरनरी डॉ ने गिद्ध के शव के सेंपल जांच के लिए जटायु संरक्षण केंद्र हरियाणा भेजी थी। करीब 8 माह बाद आई रिपोर्ट में डायक्लो पॉजीटिव पाया गया है। यानी गिद्ध की मौत पाइजनिंग से हुई है।
प्रतिबंधित है डायक्लोफिनेक सोडियम इंजेक्शन
जानवरों को पेन किलर के लिए प्रयोग किया जाने वाला डायक्लोफिनेक सोडियम इंजेक्शन प्रतिबंधित है। इसके साथ ही विषैला असर छोडऩे वाले इस तरह के सभी इंजेक्शन के प्रयोग पर रोक है। विशेषज्ञों के मुताबिक जानवरों को सिर्फ मेलोक्सीकेम इंजेक्शन ही पेन किलर के तौर पर दिया जा सकता है। यह विषैला नहीं होता है। जबकि प्रतिबंधित इंजेक्शन विषैले होने के साथ गिद्धों की किडनी फेल कर देते हैं।
विलुप्त हो रहे गिद्ध, जिले में कुल 136 गिद्ध:
इसी वर्ष जनवरी में हुई गणना में जिले में 136 गिद्ध पाए गए थे। जिसमें 132 वयस्क और 4 अवयस्क मिले थे। तामिया और उससे लगे हर्रई के जंगल में चट्टानों के बीच करीब 60 आवास पाए गए थे। यह आंकड़ा 2016 में हुई गणना की तुलना में कम पाया गया था। जिले में 2016 में 160 गिद्ध पाए गए थे। खासबात यह कि विलुप्त हो रहे जटायु की जिले में चार प्रजातियां हैं।
प्राकृतिक आवास में संरक्षण और प्रजनन का प्रपोजल
देश में जटायु (गिद्ध) के संरक्षण और प्रजनन के लिए करीब छह सेंटर हैं। सभी सेंटर कैप्टिव ब्रिडिंग के तहत संचालित हो रहे हैं। यानी गिद्धों को सेंटरों में रखकर उनका संरक्षण व प्रजनन की व्यवस्था है। वेटरनरी डॉ पंकज माहोरे के मुताबिक वेटरनरी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ पक्षवार ने वन विभाग को इनसिटू कंजरवेशन का प्रपोजल दिया है। जिसके तहत प्राकृतिक आवासों में ही उनके संरक्षण का प्लान है। उन्हें भोजन उपलब्ध कराने का जिक्र भी किया गया है। 
 

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