सरेआम नाबालिग बालिका की पिटाई के 4 दिन बाद भी FIR दर्ज नहीं

सरेआम नाबालिग बालिका की पिटाई के 4 दिन बाद भी FIR दर्ज नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-07 08:45 GMT
सरेआम नाबालिग बालिका की पिटाई के 4 दिन बाद भी FIR दर्ज नहीं

डिजिटल डेस्क, सतना। पुलिस की बेलगाम कार्यशैली का एक बड़ा मामला सामने है। नागौद थाना इलाके के खैरा गांव में 3 अगस्त को एक नाबालिग बालिका रिया बागरी की सरेआम बेदम पिटाई की वारदात के 4 दिन बाद भी पुलिस आरोपियों के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज करने को तैयार नहीं है। वारदात के दिन ही पीड़िता के परिजनों की थाने में नामजद आरोपियों के खिलाफ लिखित शिकायत के बाद भी नागौद के टीआई भूपेन्द्र सिंह को एमएलसी (मेडिको लीगल केस) रिपोर्ट का इंतजार है।

नागौद के बीएमओ (ब्लॉक मेडिकल आफीसर ) डॉ.रावेन्द्र पटेल ने बताया कि गंभीर हालत में इलाज के लिए रिया बागरी (16) को 3 अगस्त को पुलिस ही अस्पताल लेकर आई थी। बेहोश होने के कारण उसी दिन रिया को जहां जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया था,वहीं उसकी एमएलसी रिपोर्ट नागौद की थाना पुलिस को सौंप दी गई थी। सवाल ये है कि बावजूद इसके आखिर किस असर के कारण पुलिस गंभीर किस्म की वारदात के 4 दिन बाद भी प्राथमिकी तक  नहीं दर्ज कर पाई है? मामला संज्ञान में आने पर एसपी संतोष सिंह गौर ने भी हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया जाएगा। 

7 घंटे बाद आया था होश
मासूम रिया की बेदम पिटाई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिला अस्पताल में डॉक्टर उसे 7 घंटे बाद होश में ला पाए। 16 वर्षीया रिया बागरी पुत्री राजाभैय्या मूलत: देवेन्द्रनगर थाना क्षेत्र के भरहर मनटोला निवासी है और खैरा में अपने मामा रामजस बागरी के यहां रहकर पढ़ाई करती है। रामजस का गांव में ही स्वजातीय पड़ोसियों से जमीनी विवाद चलता है। 3 अगस्त को आधा दर्जन से भी ज्यादा आरोपियों ने रामजस को सबक सिखाने के लिए सरेआम मिल कर रिया की पिटाई कर दी। रिया का अभी भी जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। मगर, नागौद पुलिस को रहम नहीं है।  

क्या है नियम
विधिक मामलों के जानकार बताते हैं कि एससी वर्ग की बालिका पर सरेआम इस किस्म के सामूहिक जानलेवा हमले के मामले में पुलिस को प्रथमदृष्टया अपराध दर्ज करते हुए आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी की कार्यवाही करनी चाहिए थी। मगर नागौद पुलिस ने वारदात के दिन ही नागौद के सरकारी अस्पताल से मिली एमएलसी को दबा कर ये साबित कर दिया कि उसका इरादा कुछ और ही है? इन्हीं जानकारों का ये भी कहना है कि एमएलसी रिपोर्ट को प्राप्त करना भी संबंधित थाने की पुलिस की जिम्मेदारी है। 

इनका कहना है
इस मामले में फरियादी के परिजनों की ओर से नामजद आरोपियों के खिलाफ शिकायत मिली है। मगर अभी हमें एमएलसी रिपोर्ट नहीं मिली है। एमएलसी मिलने के बाद ही अपराध दर्ज किया जाएगा। 
भूपेन्द्र सिंह, टीआई नागौद

गंभीर हालत में बच्ची को इलाज के लिए 3 अगस्त को पुलिस लाई थी। वो बेहोश थी। हालत नाजुक होने के कारण उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर करते हुए एमएलसी रिपोर्ट उसी दिन पुलिस को दे दी गई थी। कह नहीं सकते अब पुलिस को किस एमएलसी का इंतजार है? 
डॉ. रावेन्द्र पटेल, बीएमओ 

अगर पुलिस से संंबंधित केस सीधे जिला अस्पताल आ जाते हैं तो तहरीर कर फौरन पुलिस चौकी को भेज दी जाती है। पुलिस चौकी ही एमएलसी रिपोर्ट को संबंधित थाने को भेजती है। अस्पताल प्रबंधन पुलिस को सूचित करता है, एमएलसी रिपोर्ट हासिल करना पुलिस की जिम्मेदारी है।  
डॉ. अमर सिंह, आरएमओ (जिला अस्पताल)

अगर, ऐसा है तो मामला गंभीर है। हम इसे अभी दिखवाते हैं। अपराधियों के खिलाफ अपराध दर्ज कराया जाएगा। 
संतोष सिंह गौर, एसपी 

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