महाराष्ट्र : मुंबई के इस शख्स ने तीन साल में 550 गड्‌ढे भर डाले, हादसे में बेटे की हुई थी मौत

महाराष्ट्र : मुंबई के इस शख्स ने तीन साल में 550 गड्‌ढे भर डाले, हादसे में बेटे की हुई थी मौत

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-30 05:23 GMT
महाराष्ट्र : मुंबई के इस शख्स ने तीन साल में 550 गड्‌ढे भर डाले, हादसे में बेटे की हुई थी मौत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मायानगरी के गड्‌ढे भरने एक शख्स अकेले निकल पड़ा। हादसे में बेटे को खोने के बाद उसने शहर के हर गड्ढों को पाटने की ठानी। बात 3 साल पहले, 28 जुलाई 2015 की है। मुंबई के दादाराव बिल्होरे का 16 साल का बेटा प्रकाश 11वीं के लिए अपनी पसंद के कॉलेज में दाखिला लेकर घर लौट रहा था। प्रकाश अपने कजिन राम के साथ बाइक पर पीछे बैठा था। जोरदार बारिश हो रही थी। सड़क पानी-पानी थी, गड्ढा आया, बाइक गिरी, राम को हेलमेट ने बचा लिया, प्रकाश नहीं बचा।

 



परिवार ने बेटा खो दिया था, पर पिता दादाराव ने आंसू पोंछकर यहां से एक मुहिम शुरू कर दी। मकसद था- मेरा बेटा तो सुबह घर से निकला था। गड्ढे में गिरा और वापस नहीं आया। मैं किसी और के बेटे के साथ ऐसा नहीं होने दूंगा। अब हर बेटा घर लौटेगा, मैं सारे गड्ढे भर दूंगा।’ मायानगरी के गड्ढे भरने दादाराव अकेले निकल पड़े। उम्मीद थी कि बदलाव आएगा। दादाराव 3 साल में 550 से ज्यादा गड्ढे भर चुके हैं। मुंबई ने उन्हें नाम दिया है- पॉटहोल दादा।  प्रकाश को गए 3 साल पूरे हुए हैं।

 



दादाराव और पूरा परिवार रविवार को भी गड्ढे भरने के लिए सड़कों पर था। अब तो तमाम लोग उनके साथ हो लेते हैं। ये गड्ढे किसी की जान जाने की वजह ना बनें, इसलिए ये पॉटहोल दादा के साथ मिलकर लोग भी गड्ढे पाटने में लगे रहते हैं।

प्रेरित हुआ "फिल इन द पॉटहोल्स" 
दादाराव बिल्होरे की कहानी से ही प्रेरित होकर मुंबई के लोगों ने "फिल इन द पॉटहोल्स प्रोजक्ट" शुरू किया है। इसका उद्देश्य भी गड्ढों की समस्या को हल करना है। प्रोजक्ट के तहत मुंबईकरों के लिए मोबाइल एप भी बनाया गया है। जिसके भी मोहल्ले में कोई खतरनाक गड्ढा हो, वो इस एप पर गड्ढे का फोटो और लोकेशन शेयर कर दे। इसके बाद प्रोजक्ट से जुड़े लोग इसकी जानकारी बीएमसी को देते हैं और उनके सहयोग से गड्ढा भरवाते हैं।

 



आतंकवाद से 4 गुना ज्यादा जान लेते हैं गड्ढे
आतंकवाद की वजह से 2017 में कुल 803 लोगों ने जान गंवाई। जबकि गड्ढों की वजह से देशभर से 3597 लोगों की जान गई। यानी औसतन हर रोज 10 मौत। 2016 की तुलना में ये आंकड़ा 50% तक बढ़ा है। इस संबंध में राज्यों ने केंद्र के साथ जो डेटा शेयर किया है, उसके मुताबिक अकेले महाराष्ट्र में 726 लोगों की सड़क के गड्ढों की वजह से जान गई। 2016 में ये संख्या 329 थी।

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