मराठा आरक्षण के लिए पहले हुई नियुक्तियां रद्द करने पर दो सप्ताह की रोक

मराठा आरक्षण के लिए पहले हुई नियुक्तियां रद्द करने पर दो सप्ताह की रोक

Tejinder Singh
Update: 2019-07-23 16:01 GMT
मराठा आरक्षण के लिए पहले हुई नियुक्तियां रद्द करने पर दो सप्ताह की रोक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि वह 12 जुलाई 2019 को जारी किए गए शासनादेश के तहत साल 2014 में की गई अंशकालिक नियुक्तियों को दो सप्ताह तक के लिए रद्द नहीं करेगी। राज्य सरकार ने जुलाई 2014 से नवंबर 2014 तक के लिए काफी संख्या में रिक्त पदों पर तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के पदों पर सामान्य वर्ग के कर्मचारियों की अंशकालिक नियुक्ति की थी। अब सरकार इन नियुक्तियों को रद्द कर नए सिरे से नियुक्ति करना चाहती है। जिसमें एसईबीसी आरक्षण को लागू किया जाएगा। 

इस मामले को लेकर पांच सालों से कार्यरत अंशकालिक कर्मचारियों ने अधिवक्ता सीएम लोकेश के मार्फत हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। फिलहाल हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के चलते इन कर्मचारियों को अंतरिम राहत मिली हे। मंगलवार को यह याचिका न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि सरकार एक तरह से मराठा आरक्षण को पूर्ववर्ती प्रभाव से लागू करना चाहती है। नियमानुसार ऐसा नहीं किया जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने फैसलों में इस बात को स्पष्ट किया है।  

इस तरह से अप्रत्यक्ष रुप से खंडपीठ ने कहा कि मराठा आरक्षण को लागू करने के लिए सीधे-सीधे पुरानी नियुक्तियों को न रद्द किया जाए। अन्यथा हमे 12 जुलाई के शासनादेश को रद्द करना पड़ेगा। खंडपीठ के इस रुख को देखते हुए सरकारी वकील ने कहा कि हम अगली सुनवाई तक अंशकालिक नियुक्तियों को रद्द नहीं करेंगे।  खंडपीठ ने अगली सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणाी को पैरवी के लिए बुलाया है। 

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