प्रशासकीय स्वीकृति से अधिक की हुई खरीदी, बिना जीएसटी व टीडीएस कटौती के किया गया भुगतान

डीएमएफ घोटाला...कलेक्टर ने कमिश्नर को भेजी रिपोर्ट प्रशासकीय स्वीकृति से अधिक की हुई खरीदी, बिना जीएसटी व टीडीएस कटौती के किया गया भुगतान

Bhaskar Hindi
Update: 2021-10-23 10:20 GMT
प्रशासकीय स्वीकृति से अधिक की हुई खरीदी, बिना जीएसटी व टीडीएस कटौती के किया गया भुगतान

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा । कांग्रेस शासनकाल में हुए डीएमएफ घोटाले में कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने अपनी जांच रिपोर्ट संभागीय कमिश्नर को सौंपी है। जांच में सामने आया है कि प्रशासकीय स्वीकृति से ज्यादा की डेस्क खरीदी अधिकारियों द्वारा की गई। जिसमें नियमों का ध्यान नहीं रखा गया। खरीदी का फंड क्रियांवयन एजेंसी को न करते हुए सीधे फर्म को किया गया है। कलेक्टर की रिपोर्ट से स्पष्ट हो रहा है कि डीएमएफ के फंड में करोड़ों की बंदरबांट हुई है। स्कूलों में डेस्क सप्लाई के नाम पर कांग्रेस शासनकाल में 8 करोड़ 54 लाख की खरीदी की गई थी। जिसकी सप्लाई सीधे स्कूलों में की गई। सत्ता बदली और शिकवा शिकायतों का दौर चला तो डीएमएफ फंड की हुई बंदरबांट की जांच करवाई गई। जिसमें अधिकारियों ने पाया कि 8 करोड़ 69 लाख की तकनीकि व प्रशासकीय स्वीकृति थी, लेकिन खरीदी 9 करोड़ 8 लाख 18 हजार 820 रुपए की हुई है। 161 स्कूलों के लिए 9118 डेस्क की खरीदी की गई। इतना ही नहीं सामग्री क्रय की क्रियांवयन एजेंसी जिला परियोजना अधिकारी को बनाया गया था, लेकिन सामग्री क्रय का आवंटन क्रियांवयन एजेंसी को न करते हुए सीधे एजेंसी को किया गया है।
टुकड़ों में की गई खरीदी
जांच में ये भी पाया गया है कि खरीदी नियमों के तहत एकमुश्त की जानी थी लेकिन इसे टुकड़ों में किया गया है। 6 फर्मों के लिए 33 क्रय आदेश निकाले गए हैं। जेम के माध्यम से ये सभी आदेश 30-30 लाख के थे। जबकि नियम ये था कि खरीदी के पहले खुली निविदा प्रशासन द्वारा निकाली जानी थी। जांच में पाया गया है कि मप्र. भंडार क्रय तथा सेवा उपार्जन नियम 2015 की अनदेखी हुई है।
शासन को भी लगाई चपत
जांच में ये भी पाया गया है कि जिला खनिज प्रतिष्ठान मद से फर्म द्वारा प्रस्तुत किए गए देयकों का भुगतान बिना जीएसटी एवं टीडीएस के काटकर किया गया है। जिससे शासन को लाखों की क्षति हुई है। रिपोर्ट में कलेक्टर द्वारा जिला खनिज अधिकारी मनीष पालेवार के खिलाफ कार्रवाई प्रस्तावित की गई है।

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