शिकायत दर्ज करने में देरी के एवज में एक लाख का मुआवजा दे रेलवे - राज्य उपभोक्ता आयोग का फैसला 

शिकायत दर्ज करने में देरी के एवज में एक लाख का मुआवजा दे रेलवे - राज्य उपभोक्ता आयोग का फैसला 

Anita Peddulwar
Update: 2019-05-22 12:38 GMT
शिकायत दर्ज करने में देरी के एवज में एक लाख का मुआवजा दे रेलवे - राज्य उपभोक्ता आयोग का फैसला 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग ने जिला उपभोक्ता फोरम के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसके तहत रेलवे में यात्रा के दौरान सामान खोने की शिकायत दर्ज करने में देरी के लिए रेलवे द्वारा यात्री को एक लाख रुपए मुआवजा दिए जाने का निर्देश दिया गया था। दरअसल उन्नीकृष्णनन नायर ने मार्च 2013 में जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत की थी कि 2012 में रेल यात्रा के दौरान उनका कीमती समान चोरी हो गया था। इसके लिए उन्होंने  रेलवे से चार लाख 72 हजार रुपए मुआवजे की मांग को लेकर फोरम में दावा दायर किया था।

शिकायत के अनुसार नायर अपनी पत्नी व बेटे के साथ नेत्रावती एक्सप्रेस से थरिश्वर से ठाणे आ रहे थे। नायर के मुताबिक जब उनकी ट्रेन कारवार रेलवे स्टेशन पर पहुंची तो उन्हें महसूस हुआ कि किसी ने उनकी पत्नी का हैंडबैग चुरा लिया है। हैंडबैग में उनकी पत्नी के 151 ग्राम के सोने के गहने, दो मोबाइल फोन, पैन कार्ड व एक डेबिड कार्ड सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज थे। जब यह घटना हुई उस समय डिब्बे में न तो टीटीई था और न ही कोई रेलवे पुलिसकर्मी। नायर जब अपनी शिकायत लेकर कारवार स्टेशन मास्टर के पास गए तो उसने उनकी शिकायत को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। स्टेशन मास्टर ने नायर को माडगांव स्टेशन पर शिकायत दर्ज कराने को कहा। काफी समय बाद भी जब शिकायत दर्ज नहीं हुई  तो नायर ने कोकण रेलवे के मुख्यालय से संपर्क किया। चार महीने बाद उनके मामले को लेकर एफआईआर दर्ज की गई। इस बीच उन्होंने जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत की।

जिला उपभोक्ता फोरम ने शिकायत दर्ज करने में देरी के लिए कोकण रेलवे को नायर को एक लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया। इससे असंतुष्ट नायर ने राज्य उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग में अपील की। जबकि रेलवे ने भी आयोग में मुआवजे के आदेश को रद्द किए जाने की मांग को लेकर दावा दायर किया। नायर ने अपनी अपील में मांग की थी कि उसे चोरी गए कीमती समान के बदले मुआवजा प्रदान किया जाए। मामले से जुड़े तथ्यों पर सुनने के बाद आयोग ने फोरम की ओर से चार महीने की देरी से मामला दर्ज करने के लिए दिए गए मुआवजे के आदेश को बरकरार रखा। फोरम ने अपने आदेश में कहा था कि मामला दर्ज करने में हुए विलंब के कारण न तो आरोपी पकड़ा गया और न ही शिकायतकर्ता का सामान बरामद हो पाया। कीमती समान के लिए मुआवजा देने को लेकर रेलवे की ओर से दलील दी गई कि यात्री ने हैंडबैंग की रेलवे में बुकिंग नहीं कराई थी। इसलिए उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी शिकायताकर्ता की थी न की रेलवे की। 
 

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