अपाहिज बेटे को गोद में उठाकर, सात साल से दफ्तरों के चक्कर काट रहा  पिता

अपाहिज बेटे को गोद में उठाकर, सात साल से दफ्तरों के चक्कर काट रहा  पिता

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-14 17:36 GMT
अपाहिज बेटे को गोद में उठाकर, सात साल से दफ्तरों के चक्कर काट रहा  पिता


डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। बिना उसके न एक पल भी गंवारा है पिता ही साथी है, पिता ही सहारा। एक पिता के लिए लिखी गई ये कविता शायद राजकुमार साहू जैसे इंसान के लिए रची गई है। मिन्नतों के बाद जन्में अपने पहले बच्चे के समय राजकुमार जितना खुश था शायद आज उतना ही दुखी है। सात साल से अपने कलेजे के टुकड़े को गोद में उठाकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है। अधिकारियों से सिर्फ एक ही आस है कि बोलने, चलने और दुनियादारी की समझ से दूर अपने बेटे को जैसे-तैसे किसी सरकारी योजना का लाभ मिल जाए। लेकिन अफसर भी इतने कठोर हो चुके हैं कि हर बार एक नए विभाग का नाम बताकर फिर से अपने कार्यालय से भगा देते हैं। ये कोई फिल्मी स्टोरी नहीं, बल्कि बिछुआ के खमरा निवासी राजकुमार साहू की सच्ची कहानी है। 
2013 में राजकुमार साहू के यहां एक बेटे का जन्म हुआ। खुशी में परिवार वालों ने बच्चे का नाम ईशव रखा, लेकिन चंद दिनों के बाद ही परिवार वालों को अहसास हुआ कि ईशव न तो कुछ खाता है और न ही आम बच्चों की तरह एक्टिव है। परिवार वालों ने जब डॉक्टरों से इलाज करवाया तो बताया कि ईशव 95 प्रतिशत पोलियोग्रस्त है। लेकिन इसके बाद भी परिवार वालों ने भी भगवान की इच्छा मानकर बच्चे की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी, पिता को आस थी कि बच्चे को अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ भी बाकी विकलांग बच्चों की तरह मिल सकें। पिछले छह साल से अपने बेटे का आधार कार्ड बनाने के लिए राजकुमार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है। पहले विकासखंड स्तर पर, फिर नगर निगम और बाद में उसे कलेक्ट्रेट पहुंचाकर अधिकारी भी ईशव का आधार कार्ड नहीं बना पा रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि बच्चे का फिंगर ही अपलोड नहीं हो रहा। अधिकारी भी इस मामले में एक नि:सहाय पिता की कोई सहायता नहीं कर रहे हैं। 
सात साल से बिस्तर पर है ईशव 
ईशव साहू को मेडिकल बोर्ड ने 95 प्रतिशत विकलांग घोषित किया है। उसके बाद भी वह किसी भी प्रकार की सरकारी योजना के लाभ से वंचित है। न बोल पाता है, न सुन पाता है और न ही कुछ समझ पाता है। जन्म से ही पोलियो की बीमारी से ग्रस्त ईशव हमेशा बिस्तर पर पड़ा रहता है। ईशव के पिता राजकुमार ने बताया कि कई सालों से वे छिंदवाड़ा आ रहे है ताकि बच्चे का आधार कार्ड बन सके। 
मजदूरी करके गुजारा करता है राजकुमार 
राजकुमार साहू के तीन बच्चों में ईशव सबसे बड़ा बेटा है। राजकुमार साहू की आय भी इतनी नहीं है कि अपने विकलांग बच्चे को ज्यादा सुख-सुविधा दे सकें। मजदूरी कर जैसे-तैसे परिवार का गुजारा कर रहे, राजकुमार को आस है कि यदि ईशव को सरकारी सहायता मिल गई तो उसका अच्छे से लालन-पालन हो सकेगा।

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