रहवासियों का आरोप, कोरेगांव भीमा गांव को किया बदनाम, फसाद में युवक नहीं थे शामिल
रहवासियों का आरोप, कोरेगांव भीमा गांव को किया बदनाम, फसाद में युवक नहीं थे शामिल
डिजिटल डेस्क, पुणे। कोरेगांव भीमा गांव के लोगों का आरोप है कि पथराव, आगजनी की घटनाओं को अंजाम देकर गांव का नाम बदनाम किया गया है। दंगों में गांव के युवक नहीं थे। गांव का 25 कराेड़ रूपयों से भी अधिक नुकसान हुआ है। लोगों के शुक्रवार को कहा कि दंगों के समय बाहर के लोगों ने यहां पथराव किया था। दुकानों, वाहनों को आग लगा दी। उन्होंने कहा कि हमारे लड़के खुद के घर, वाहनों को आग क्यों लगाएंगे। इस हिंसा से गांव का संबंध नहीं है। गांववालों का कहना है कि मीडिया ने भी एक तरफा खबर दिखाई। हर साल 1 जनवरी को विजय स्तंभ को अभिवादन करने के लिए आनेवाले लोगों का स्वागत कर होता हैं। ऐसे में उनपर हमला कैसे किया जा सकता है।
नामी दुकानों को बनाया गया निशाना
व्यवसायी जयेश शिंदे ने कहा कि दंगों के लिए असमाजिक पूरी तैयारी के साथ आए थे। उन्होंने पथराव, आगजनी कर गांव को बदनाम किया। नामी दुकानों को निशाना बनाया। इससे कई लोगों की रोजी रोटी पर असर पड़ा है। गांववालों ने मांग की कि उन्हें हर्जाना मिलना चाहिए। राज्य सरकार मृतक राहुल फटांगड़े के परिवार को एक करोड़ रूपयों की मदद करें। सोना स्टील के मालिक संजय मुथा ने कहा कि दंगों के दिन सभी ने दुकान बंद रखी थी। इसलिए उन्होंने भी दुकान बंद रखी। लेकिन दंगाइयों ने उनकी दुकान जला दी। जिसमें लाखों का नुकसान हुआ है। इस दौरान सरपंच संगीता कांबले, उपसरपंच कल्पना गव्हाणे और ग्रामपंचायत के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे।
कौरवनीति का इस्तमाल
दंगे करवाने का आरोप शिवप्रतिष्ठान के संस्थापक संभाजी भिड़े पर लगा है। भिड़े ने आरोप खारिज करते हुए कहा है कि उन्हें फंसाने के लिए कौरवनीति का इस्तमाल किया जा रहा है। भिड़े ने कहा कि मुझपर लगाए गए आरोप बेबुनियाद है। सरकार किसी मामले की जांच कराए, वे किसी तरह की जांच के लिए तैयार हैं।