संजय राऊत की सलाह - दादा पवार की डांट को आशिर्वाद माने पार्थ पवार

संजय राऊत की सलाह - दादा पवार की डांट को आशिर्वाद माने पार्थ पवार

Tejinder Singh
Update: 2020-08-14 16:29 GMT
संजय राऊत की सलाह - दादा पवार की डांट को आशिर्वाद माने पार्थ पवार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कहा कि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार को अपने दादाजी तथा राकांपा अध्यक्ष शरद पवार की डांट को आशीर्वाद के रूप में स्वीकार करने की सलाह दी है। शुक्रवार को राऊत ने कहा कि यदि परिवार के प्रमुख व्यक्ति कोई विचार व्यक्त करते हैं, तो उसे आशीर्वाद समझकर स्वीकार करना चाहिए। इस बीच शिवसेना के मुखपत्र में छपी संपादकीय में कहा गया है कि पवार की इन बातों को लेकर इतना बवाल क्यों मचा है। उन्होंने कहा कि शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे ने हमें कई बार सार्वजनिक रूप से फटकार लगाई है। इससे हम लोग सीखते गए। राऊत ने कहा कि समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के परिवार में राजनीतिक विवाद होने पर उन्होंने अपनी बात रखी थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई युवा कार्यकर्ताओं को अत्यंत कठोर और कटु शब्दों में मार्गदर्शन किया है। पवार ने भी इसी तरह अपनी भूमिका व्यक्त की। यह बात उनके परिवार तक सीमित है। भाजपा नेताओं की ओर से पार्थ के समर्थन में बयान देने के सवाल पर राऊत ने कहा कि भाजपा को अपने दल की ओर देखना चाहिए। राऊत ने कहा कि मीडिया को लगता है कि पार्थ नाराज हैं लेकिन ऐसा नहीं है। मीडिया किसी न किस दल के नेता की नाराजगी होने की बात कहती रहती है। इससे मीडिया को बाहर निकलना चाहिए। इस दौरान विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस को भाजपा की ओर से बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का प्रभारी बनाए जाने की संभावना पर राऊत ने कहा कि जिनको चुनाव का अनुभव ज्यादा होता है उन्हें चुनाव प्रभारी बनाया जाता है। भाजपा को लगा होगा कि फडणवीस में क्षमता है इसलिए इस बारे में फैसला लेने पर विचार किया गया होगा। इससे पहले शरद पवार ने पार्थ को अपरिपक्व करार दिया था। पवार ने कहा था कि हम पार्थ के बयान को कौड़ी भर कीमत नहीं देते हैं। 

खबरिया चैनलों पर साथा निशाना 

शिवसेना के मुखपत्र में छपे संपादकीय में कहा गया- ये लोग   (चैनलन्यूज) अपनी रोजी-रोटी के लिए बिना बात के बवाल पैदा करते हैं। शरद पवार वरिष्ठ नेता हैं और राजनीतिक दल के मुखिया हैं, वह उसको डांट सकते हैं। जब आपकी जबान नियंत्रण में नहीं होती, तो आपको इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। अजित पवार भी इस समस्या से गुजरे हैं। अब वह अपने आप पर नियंत्रण रखते हैं। उनके बेटे पार्थ राजनीति में नए हैं और इसलिए उनके बयानों से विवाद पैदा होते हैं। कई वरिष्ठ एवं अनुभवी राजनेताओं ने भी सीबीआई जांच की मांग की है। यह इशारा भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस की ओर था। 
 

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