शक्तिमिल मामला : रेप के अलावा किसी दूसरे अपराध को दोहराने पर फांसी का प्रावधान नहीं

शक्तिमिल मामला : रेप के अलावा किसी दूसरे अपराध को दोहराने पर फांसी का प्रावधान नहीं

Tejinder Singh
Update: 2019-02-22 15:15 GMT
शक्तिमिल मामला : रेप के अलावा किसी दूसरे अपराध को दोहराने पर फांसी का प्रावधान नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शक्ति मिल सामूहिक दुष्कर्म मामले के आरोपियों के वकील ने शुक्रवार को धारा 376ई को भेदभावपूर्ण व मनमानीपूर्ण बताया है। आरोपियों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता युग चौधरी ने कहा कि यदि कोई डकैती के अपराध को बारबार अंजाम देता है और मिलावाट के अपराध को भी कई बार करता है तो भी उसके लिए कारावास की सजा का प्रावधान है।  सिर्फ 376ई में फांसी की सजा तय की गई है। इस लिहाजा से धारा 376ई भेदभाव व मानमानीपूर्ण है। इस धारा के तहत यदि कोई आरोपी दुष्कर्म के मामले में दोषी पाया जाता है और वह फिर से दुष्कर्म का अपराध करता है और दोषी माना जाता है तो उसके लिए फांसी अथवा अजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। 

हाईकोर्ट में शक्ति मिल में फोटोग्राफर के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में फांसी की सजा पाए तीन आरोपियों की याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में इन तीनों आरोपियों ने धारा 376ई को असंवैधानिक बाताया है और दावा किया है कि उनके मामले में इस धारा को गलत तरीके से लागू किया गया है।  प्रकरण में आरोपी विजय जाधाव,कासिम बंगाली,सलीम अंसारी को अप्रैल 2014 में  धारा 376ई के तहत फांसी की सजा सुनाई गई थी

न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे की खंडपीठ के सामने श्री चौधरी ने कहा कि 376ई धारा व इसके उद्देश्य में कोई गठजोड़ नजर नहीं आता है। आम तौर पर यदि कोई किसी अपराध को दोहाराता है तो उसे सबक सीखने के लिए दूसरी बार पहले ही अपेक्षा युक्तिसंगत कठोर दंड दिया जाता है लेकिन धारा 376ई में दोबारा दुष्कर्म के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान किया गया। ऐसा प्रावधान किसी अन्य अपराध को दोहराने पर नहीं किया गया है। इसलिए यह धारा मनमानी व भेदभाव पूर्ण है। नियमानुसार कानून कभी मनमानीपूर्ण नहीं हो सकती है। खंडपीठ ने अब बुधवार को इस मामले की सुनवाई रखी है। 

 

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