शीना बोरा हत्याकांड : चार साल बाद पीटर मुखर्जी को मिली जमानत

शीना बोरा हत्याकांड : चार साल बाद पीटर मुखर्जी को मिली जमानत

Tejinder Singh
Update: 2020-02-06 14:18 GMT
शीना बोरा हत्याकांड : चार साल बाद पीटर मुखर्जी को मिली जमानत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने शीना बोरा हत्याकांड के मामले में आरोपी में शीना बोरा हत्याकांड मामले में आरोपी पीटर मुखर्जी को दो लाख रुपए के मुचलके पर जमानत प्रदान कर दी है। पर 6 सप्ताह तक जमानत के इस आदेश पर अमल नहीं होगा। हाईकोर्ट के कहा कि प्रथम दृष्ट्या पीटर के खिलाफ सबूत नजर नहीं आते। पीटर मुखर्जी पिछले चार साल से अधिक समय से आर्थर रोड जेल में बंद थे। उन्हें साल 2015 में गिरफ्तार किया गया था। तब से कई बार पीटर ने जमानत के लिए आवेदन किया था लेकिन कोर्ट ने पीटर को जमानत नहीं दी थी।

इसके बाद पीटर ने दोबारा हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया। न्यायमूर्ति नितिन साब्रे के सामने पीटर के जमानत पर सुनवाई हुई। इस दौरान पीटर के वकील ने दावा किया कि था कि मेरे मुवक्किल को इस मामले की जांच पूरी होने के 6 माह बाद गिरफ्तार किया गया था। मेरे मुवक्किल शीना व राहुल के संबंध से खुश नहीं थे इसको लेकर ईमेल जरुर भेजे गए थे लेकिन संबंध की नापंसदगी के पीछे कोई आपराधिक इरादा नहीं छुपा था। 

जांच ऐजेंसी ने इस मामले में सरकारी गवाह बने श्यामवर राय के बयान को कई बार दर्ज किया है। ऐसा क्यों किया गया है इसको लेकर जांच ऐजेंसी की ओर से कोई सफाई नहीं दी गई है। इसके साथ ही जब शीना की हत्या हुई, उस समय मेरे मुवक्किल विदेश में थे। उनके खिलाफ सीबीआई के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। इस दौरान सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने इसका विरोध किया और कहा कि इस मामले में पीटर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। गुरुवार को न्यायमूर्ति सांब्रे ने अपना फैसला सुनाते हुए पीटर को जमानत प्रदान कर दी।

न्यायमूर्ति ने कहा कि पीटर मामले से जुड़े सबूतों के साथ छेड़छाड न करे और किसी गवाह से संपर्क न करे। इस मामले में पीटर का बेटा गवाह है। न्यायमूर्ति ने पीटर को नियमित रुप से मुकदमे की सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने व अपना पासपोर्ट जमा करने को कहा है। जमानत प्रदान करने के बाद सीबीआई के वकील ने न्यायमूर्ति से अपने फैसले पर आठ सप्ताह तक रोक लगाने का आग्रह किया ताकि वे अपील कर सके। इसके बाद न्यायमूर्ति ने अपने आदेश पर 6 सप्ताह तक के लिए रोक लगा दी। इसलिए 6 सप्ताह तक पीटर के जमानत के आदेश पर अमल नहीं किया जाएगा। 

 

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