विदर्भ में शिवसेना को मिलेगी नई ताकत, उद्धव ठाकरे करेंगे चुनावी तैयारी की समीक्षा

विदर्भ में शिवसेना को मिलेगी नई ताकत, उद्धव ठाकरे करेंगे चुनावी तैयारी की समीक्षा

Tejinder Singh
Update: 2018-05-10 15:38 GMT
विदर्भ में शिवसेना को मिलेगी नई ताकत, उद्धव ठाकरे करेंगे चुनावी तैयारी की समीक्षा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे शुक्रवार को शहर में हाेंगे। वे विदर्भ के सभी जिलों व लोकसभा क्षेत्र स्तर पर संगठनात्मक कार्यों की समीक्षा करेंगे। एक तरह से संगठन को बूस्ट करने का काम करेंगे। लोकसभा व विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने अकेले मैदान में उतरने का निर्णय लिया है। लिहाजा कम समय में संगठन को अधिक से अधिक ऊर्जा देने का प्रयास करेंगे। 

लगभग 3 वर्ष बाद आ रहे हैं

गौरतलब है कि श्री ठाकरे करीब 3 वर्ष बाद नागपुर में संगठन कार्य के सिलसिले में आ रहे हैं। उनके इस दौरे को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। समीक्षा बैठक की तैयारी के लिए परिवहन मंत्री व शिवसेना के जिला संपर्क प्रमुख दिवाकर रावत गुरुवार को ही नागपुर पहुंच गए हैं। संगठनात्मक मामलों के समन्वयक प्रमुख अरविंद नेरकर ने भी व्यवस्था का जायजा लिया है। फिलहाल विदर्भ में शिवसेना के 4 सांसद हैं। दो विधायकाें में से एक राज्यमंत्री हैं। विधानसभा के पिछले 3 चुनावों के परिणाम देखे जाएं तो शिवसेना की ताकत विदर्भ में लगातार कमजोर हो रही है। स्थिति यह है कि सभी जिले में संगठनात्मक कार्यकारिणी पूरी तरह से नहीं बन पाई है। 

नागपुर में भी नई ऊर्जा की दरकार

नागपुर में ही देखें तो संगठन को नई ऊर्जा देने की दरकार लगातार की जा रही है। शहर में 5 साल से भी अधिक समय से कार्यकारिणी तक नहीं बन पाई है। जिला प्रमुख बदला गया। पूर्व सांसद प्रकाश जाधव को जिला प्रमुख नियुक्त किया गया। फिर भी कार्यकारिणी विस्तार का अभाव है। कार्यकर्ताओं में समन्वय भी पूरी तरह से नहीं है। हाल ही में पूर्व नागपुर में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। उसमें युवा सेना के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे मुख्य आमंत्रित थे, लेकिन आए नहीं। कार्यक्रम आयोजन को लेकर गुटबाजी भी देखी गई। कार्यक्रम में जिला प्रमुख व अन्य पदाधिकारी भी नहीं पहुंचे थे। कहा जाता रहा कि शिवसेना में संगठनात्मक राजनीति में किनारे लग रहे कुछ नेता कार्यकर्ताओं में जिला नेतृत्व के प्रति असंतोष बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे के लिए जिला स्तर पर संगठनात्मक गुटबाजी का मामला भी चर्चा का विषय रहेगा। 

रणनीतिक संदेश भी दे सकते हैं

2014 के विधानसभा चुनाव के पहले वे चाहकर भी गुटबाजी दूर नहीं कर पाए थे। लिहाजा स्थिति यह रही कि विधानसभा चुनाव में शिवसेना को उम्मीदवार तक नहीं मिले। भाजपा के साथ गठबंधन नहीं था। उत्तर नागपुर में शिवसेना उम्मीदवार मैदान से पहले ही हट गया। एबी फार्म लेने के बाद भी शिवसेना के लिए कार्यकर्ता का चुनाव नहीं लड़ना पार्टी के लिए गहन चिंतन का विषय बना था। ठाकरे ने विधानसभा में केवल एक सभा ली थी। बाद में कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए एक होटल में बैठक का आयोजन किया था, लेकिन संगठन विस्तार का मामला अधूरा ही रहा। शुक्रवार को 10 लोकसभा क्षेत्र में कार्यों की समीक्षा के लिए 10 बैठकें होगी। कार्यकर्ताओं को लगता है कि उद्धव ठाकरे कुछ रणनीतिक संदेश भी दे सकते हैं। 
 

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