सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे का फैसला, विदेश में पढ़ाई छात्रवृत्ति के लिए 6 लाख की आय सीमा

सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे का फैसला, विदेश में पढ़ाई छात्रवृत्ति के लिए 6 लाख की आय सीमा

Bhaskar Hindi
Update: 2020-05-16 08:26 GMT
सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे का फैसला, विदेश में पढ़ाई छात्रवृत्ति के लिए 6 लाख की आय सीमा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र के अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को विदेश में पढ़ने के वास्ते छात्रवृत्ति के लिए अभिभावक की वार्षिक आय सीमा 6 लाख रुपए तय करने का फैसला किया गया है। यानि जिन विद्यार्थियों के अभिभावकों की वार्षिक आय 6 लाख रुपए तक हैं उन्हें ही विदेश के विद्यालयों में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति दी जाएगी। शुक्रवार को प्रदेश के सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे ने यह जानकारी दी।   

मुंडे ने कहा कि सामाजिक न्याय विभाग की राजर्षि शाहू महराज छात्रवृत्ति योजना में संशोधन किया गया है। इससे क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग के अनुसार विदेश के टॉप 100 विश्वविद्यालयों में 75 विद्यार्थियों को प्रवेश के लिए अनुमति दी जाएगी। मुंडे ने कहा कि अभी तक क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग के अनुसार टॉप 1 से 300 शिक्षा संस्थानों में पहले 100 विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति हासिल करने के लिए वार्षिक आय की कोई सीमा तय नहीं थी। जबकि 101 से 300 स्थान वाले विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए 6 लाख रुपए की आय सीमा थी। इस कारण विदेश के टॉप 100 शिक्षा संस्थानों में आर्थिक रूप से सक्षम विद्यार्थियों को दाखिल मिल जाता था लेकिन गरीब विद्यार्थी वंचित रह जा रहे थे। इसलिए छात्रवृत्ति की योजना के लिए केंद्र सरकार, ओबीसी विभाग और तकनीकी शिक्षा विभाग की तर्ज पर आय की सीमा लागू करने की मांग हो रही थी। सामाजिक न्याय विभाग ने विद्यार्थियों के दाखिले के लिए वार्षिक आय सीमा 6 लाख तक निश्चित करने का फैसला किया है। मुंडे ने कहा कि आगामी समय में वार्षिक आय सीमा 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख करने का विचार है। इसके साथ ही दाखिले के लिए विद्यार्थियों की संख्या 75 से बढ़ाकर 200 करने की योजना है।
केंद्रीय पैकेज में मिले हिस्सेदारी
प्रदेश में पिछड़े वर्ग समेत विभिन्न वंचित समूहों को दिए जाने वाले सीधे लाभ की योजनाओं का हिस्सा केंद्र सरकार की ओर से घोषित पैकेज में से दिया जाए। यह मांग प्रदेश के सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे ने की है। मुंडे ने कहा कि सामाजिक न्याय विभाग की ओर से हर साल विभिन्न योजनाओं के तहत 4 से 5 करोड़ रुपए लाभार्थियों पर खर्च किया जाता है लेकिन कोरोना संकट के कारण राज्य की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है। राज्य में विकास कार्यों की 70 प्रतिशत निधि में कटौती होने वाली है। इसलिए सभी योजनाओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा घोषित पैकेज में से निधि उपलब्ध कराया जाना चाहिए। मुंडे ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों के लिए घोषित पैकज का लाभ समाज के सभी घटकों तक पहुंचाने के लिए सामाजिक न्याय विभाग को नोडल विभाग के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए।

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