बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा जारी एसओपी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

वकील ने खटखटाया दरवाजा बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा जारी एसओपी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

Tejinder Singh
Update: 2022-01-16 09:40 GMT
बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा जारी एसओपी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना के मामलों में उछाल को देखते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के कामकाज को लेकर जारी एसओपी के निष्पादन पर रोक लगाने की मांग को लेकर मुंबई के एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में का दरवाजा खटखटाया है। वकील ने शीर्ष अदालत से गुहार लगाई है कि वह बॉम्बे हाईकोर्ट को कामकाज के केवल तीन घंटे रखने के बजाए वर्चुअल प्लेटफॉर्म के माध्यम से सभी न्यायालयों को अपनी प्रधान सीट और अधीनस्थ न्यायालयों को पूर्णकालिक रूप से क्रियाशील बनाए जाने के निर्देश दें।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 10 और 3 जनवरी 2022 को हाईकोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों (पुणे, रायगड-अलिबाग और ठाणे) के कामकाजों को लेकर एक एसओपी जारी की है। इस मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार अदालत में सोमवार से शुक्रवार दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक बिना लंच ब्रेक के कामकाज होगा। वकील घनश्याम उपाध्याय ने इन एसओपी को अवास्तविक और अनुचित करार देते हुए इसके निष्पादन पर रोक लगाने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि अदालतों को काम के घंटों को कम किए बिना आभासी सुनवाई के माध्यम से कार्यात्मक बनाया जा सकता है।

याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट के काम के घंटे कम होने के कारण वकीलों और वादियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। याचिका में कहा गया है कि उनके मौलिक अधिकारों को खतरे में डाला गया है और उनका उल्लंघन किया गया है, जो बहुत चिंता का विषय होने के साथ ही सार्वजनिक महत्व का भी है। लिहाजा हाईकोर्ट के 3 और 10 जनवरी, 2022 के एसओपी को रद्द किया जाए और नए दिशा-निर्देश बनाने और राज्य में सभी अदालतों के आभासी कामकाज को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाए। 

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