भावी अभिभावक की अनुमति के बगैर सरोगेट मदर नहीं करा सकती गर्भपातः हाईकोर्ट

भावी अभिभावक की अनुमति के बगैर सरोगेट मदर नहीं करा सकती गर्भपातः हाईकोर्ट

Tejinder Singh
Update: 2018-12-28 13:16 GMT
भावी अभिभावक की अनुमति के बगैर सरोगेट मदर नहीं करा सकती गर्भपातः हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सरोगेट मां बच्चे के भावी अभिभावक की सहमति के बिना गर्भपात नहीं करा सकती है। बांबे हाईकोर्ट ने पुणे की एक सरोगेट मां की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह बात कही। याचिका में महिला ने दावा किया था कि उसके पेट में पल रहे बच्चे के हृदय में खामी है। इसलिए उसे गर्भपात की अनुमति दी जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि हम बच्चे के भावी अभिभावक की सहमति के बिना महिला को गर्भपात की अनुमति नहीं दे सकते। अदालत के निर्देश के तहत कोर्ट में मौजूद बच्चे के भावी अभिभावक ने कहा कि यदि महिला को गर्भपात की अनुमति दी जाती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद अदालत ने गर्भपात की अनुमति दे दी। 

24 सप्ताह के भ्रूण में विकार व विसंगति होने का दावा करते हुए महिला ने गर्भपात की अनुमति दिए जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। पुणे के ससून अस्पताल ने इससे पहले महिला की जांच की थी और भ्रूण के हृदय में विकार पाया था। अस्पताल की रिपोर्ट में महिला को गर्भपात कराने का सुझाव दिया गया था। महिला ने एक दंपति के साथ असिसटेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलाजी (एआरटी) के तहत बच्चे के लिए अपनी कोख किराए पर देने के लिए अनुबंध किया था। जो सरोगेसी के दायरे में आता है। अनुबंध के कुछ समय बाद एआरटी तकनीक के माध्यम से महिला गर्भवती हो गई, लेकिन नियमित जांच के दौरान उसे भ्रूण के हृदय में खराबी होने की जानकारी मिली। डॉक्टर की सलाह के आधार पर महिला ने गर्भपात कराने का निर्णय किया। नियमानुसार 20 सप्ताह से अधिक के भ्रूण का गर्भपात हाईकोर्ट की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है। लिहाजा उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

अवकाशकालीन जस्टिस भारती डागरे के सामने महिला की याचिका पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों व मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद बेंच ने कहा कि सरोगेसी मां बच्चे के भावी माता-पिता (किराए पर कोख लेने वाले) की सहमति के बिना गर्भपात नहीं करा सकती। यहीं नहीं जस्टिस ने पिछली सुनवाई के दौरान बच्चे के भावी माता-पिता में से एक को कोर्ट में हाजिर रहने को कहा। इसके तहत कोर्ट में बच्चे के भावी अभिभावक हाजिर हुए और उन्होंने कहा कि महिला को गर्भपात की अनुमति दी जाती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद जस्टिस ने सरोगेसी से मां बनने वाली महिला को गर्भपात की अनुमति प्रदान कर दी। अधिवक्ता नेहा फिलिप ने महिला की ओर से कोर्ट में पक्ष रखा। 
 

Similar News