यूथ में स्वदेशी भाव होना जरूरी: विपिन वर्मा डेविड

यूथ में स्वदेशी भाव होना जरूरी: विपिन वर्मा डेविड

Anita Peddulwar
Update: 2018-01-15 08:27 GMT
यूथ में स्वदेशी भाव होना जरूरी: विपिन वर्मा डेविड

डिजिटल डेस्क, नागपुर। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य विपिन वर्मा डेविड का मानना है कि बदले हुए दौर में भी स्वदेशी भाव होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के कारण पारंपरिक आचार-विचार में बदलाव आने लगा है। विकास के मामले में वैश्विक स्तर की कार्यशैली अपनाई जाने लगी है। स्वदेशी की संकल्पना काे कालबाह्य कहा जाने लगा है।  विपिन वर्मा उत्तरप्रदेश विधानसभा में भाजपा के सदस्य भी हैं। दलितों को लेकर जारी राजनीति पर वे कहते हैं कि कुछ लोग दलितों के नाम पर केवल राजनीति स्टंट करने लगे हैं। दलित तो प्रथम पूज्यनीय हिंदू हैं। राष्ट्र विकास की बात दलित बहुजनों के विकास के बिना सार्थक ही नहीं हो सकती है। एक कार्यक्रम के सिलसिले में यहां आए श्री वर्मा ने उत्तरप्रदेश व महाराष्ट्र की राजनीति पर चर्चा की।
 
विवादों को जातिवाद के आईने से देखना ठीक नहीं
उन्होंने कहा कि हाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव से उपजे दलित बनाम सवर्ण विवाद को लेकर इन दिनों केंद्र सरकार व विपक्ष में राजनीति गर्म है। प्रकाश आंबेडकर ने कांग्रेस से लेकर उत्तरप्रदेश में बसपा प्रमुख मायावती तथा मोदी सरकार और भाजपा पर दलितों की उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं। इस मसले पर वर्मा ने कहा कि बहुजनवादी विचारकों व लेखकों ने रामायण, महाभारत, भक्ति साहित्य और संविधान के माध्यम से धर्म की सेवा की और समाज ने उन्हें और उनकी रचनाओं को सिर माथे लगाया। अंत्योदय की संकल्पना के साथ काम करने वाला कोई भी संगठन या जनप्रतिनिधि दलित बहुजन की उपेक्षा नहीं कर सकते। परिवार या पड़ोस में कई बार विवाद हो जाता है। सारे विवाद को जातिवाद के आईने से देखना ठीक नहीं है।

स्वयंसेवक का मतलब है स्वयं अनुशासित होना
एक प्रश्न पर डेविड ने कहा कि जातीय संगठन या जातीय विकास की बात करने वालों को भी वर्ग संघर्ष की स्थिति तैयार करनेवाला कहना ठीक नहीं है। जातीय उपेक्षा से भी नक्सली पैदा होते हैं। जातीय विकास का काम करना भी राष्ट्रसेवा है। किसी जाति का विरोध करना ठीक नहीं है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को व्यक्तित्व निर्माता ठहराते हुए उन्होंने कहा कि संघ या उससे जुड़े अन्य संगठन का स्वयंसेवक होना राष्ट्रविकास के लिए स्वयं को सेवक बनाना है। स्वयंसेवक का मतलब है स्वयं अनुशासित होना। 

 

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