9 वर्षीय छात्राओं से रेप के दोषी शिक्षक को 20 वर्ष की जेल, 10 साल तक फर्लो भी नहीं 

9 वर्षीय छात्राओं से रेप के दोषी शिक्षक को 20 वर्ष की जेल, 10 साल तक फर्लो भी नहीं 

Tejinder Singh
Update: 2020-12-22 10:22 GMT
9 वर्षीय छात्राओं से रेप के दोषी शिक्षक को 20 वर्ष की जेल, 10 साल तक फर्लो भी नहीं 

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अपने ही स्कूल की 9 वर्षीय बच्चियों से दुराचार के दोषी 48 वर्षीय शिक्षक को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने जेल भेजा है। सत्र न्यायालय द्वारा इस शिक्षक को बरी करने के फैसले को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने उसे 20 साल जेल की सजा सुनाई है। उस पर 1 लाख 8 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया गया है। अपराध की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने कहा है कि सजा के पहले 10 वर्ष तक उसे फर्लो न दी जाए। साथ ही जब भी वह पैरोल पर रिहा हो, गोंदिया जिले में नहीं आ सकेगा। शिक्षक का नाम गोपाल नीलकंठ जनबंधु है और वह गोंदिया के अर्जुनीमोर का निवासी है। इस प्रकरण में आरोपी को बरी करने वाली गोंदिया की पॉक्सो की विशेष अदालत की कार्यशैली पर भी हाईकोर्ट ने सवाल  किए हैं।  हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि निचली अदालत ने पीड़ित बालिकाओं के बयान को महत्व न देकर आरोपी काे बरी कर दिया। निचली अदालत की सुनवाई में पीड़िताओं के बयान को महत्व नहीं दिया , हाईकोर्ट ने इस पर आश्चर्य जताया है। वहीं, उनके बयान के दौरान बार-बार उन्हें उनके साथ हुई घटना बयान करने को कहा गया, हाईकोर्ट ने इस पर भी आपत्ति जताई है। हाईकोर्ट ने कहा है कि पॉक्सो अधिनियम के तहत बच्चों से दुराचार के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष कार्यप्रणाली तय की गई है, इस मामले में निचली अदालत उसे ठीक से पूरा नहीं कर सकी है। निचली अदालतों को ऐसे मामलों की सुनवाई के दौरान पूरी सतर्कता बरतनी चाहिए। 

यह है मामला 

घटना 2 दिसंबर 2017 की है। एक 9 वर्षीय छात्रा ने अपने परिजनों को बताया कि स्कूल में मुख्याध्यापक की अनुपस्थिति में यह शिक्षक उसे और उसकी अन्य  सहेलियों को अकेले में ले जाकर उनके साथ बुरी हरकत करता है। परिजनों ने अन्य 2 छात्राओं के परिजनों से संपर्क किया। यह भी पता चला कि छात्राओं को शारीरिक तकलीफ भी हो रही है। ऐसे में सभी परिजनों ने मिल कर 5 दिसंबर 2017 को मामले की पुलिस में शिकायत की। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भादवि 376 (2-एफ), पॉक्सो व अन्य के तहत मामला दर्ज किया, लेकिन सत्र न्यायालय ने सबूतों के अभाव में आरोपी को बरी कर दिया। राज्य सरकार ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिस पर हाईकोर्ट का फैसला आया है। मामले मंे सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकील केतकी जोशी और सरकारी वकील टी.ए.मिर्जा ने पैरवी की। 

 

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