15 साल पहले जन्मे किशोर दर्ज करा सकते हैं रिकॉर्ड में नाम

15 साल पहले जन्मे किशोर दर्ज करा सकते हैं रिकॉर्ड में नाम

Anita Peddulwar
Update: 2020-03-18 06:50 GMT
15 साल पहले जन्मे किशोर दर्ज करा सकते हैं रिकॉर्ड में नाम

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ लंबे समय से देशभर में आंदोलन चल रहा है। ऐसे में अपना जन्म प्रमाणपत्र या अपने परिवार के मृतक सदस्यों का मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने वालों की मनपा के जन्म-मृत्यु विभाग में अचानक भीड़ उमड़ पड़ी है। कई ऐसे हैं, जिनका जन्म प्रमाणपत्र उपलब्ध तो है, लेकिन उनका नाम प्रमाणपत्र में नहीं है। प्रमाणपत्र में मां-बाप का नाम दर्ज है। ऐसे में संबंधित व्यक्ति को जन्म प्रमाणपत्र उसी का है, यह साबित करने में दिक्कतें आ सकती हैं। वह प्रमाणपत्र में अपना नाम दर्ज कराने को लेकर प्रशासन के साथ लंबी जद्दोजहद कर रहा है। अनेक ऐसे भी हैं, जिन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

 पिछले दो महीने में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनके नाम प्रमाणपत्र पर नहीं है। इन दिक्कतों को देखते हुए मनपा प्रशासन ने केंद्र सरकार के एक आदेश का हवाला देकर ऐसे लोगों को एक मौका उपलब्ध कराया है। केंद्र सरकार के 13 मई 2014 के आदेश अनुसार 15 वर्ष की आयु वर्ग से अधिक उम्र वाले लोग अपना नाम जन्म प्रमाणपत्र में पंजीकृत करा सकते हैं। 14 मई 2020 तक जन्म प्रमाणपत्र में नाम दर्ज कराने की अंतिम तिथि है। इसके लिए संबंधित विभाग से संपर्क कर नियमानुसार कागजात उपलब्ध कराकर अपना नाम पंजीयन कराया जा सकता है। 

क्या कहते हैं नियम
फिलहाल नियम कहता है कि 15 वर्ष की उम्र तक के बच्चे, जिनका अस्पताल और मनपा के जन्म मृत्यु विभाग में रिकार्ड है, लेकिन जन्म प्रमाणपत्र में नाम नहीं है, वे  अपना नाम जन्म प्रमाणपत्र में दर्ज करा सकते है। जन्म-मृत्यु पंजीयन अधिनियम 1969 की धारा 14 व महाराष्ट्र जन्म-मृत्यु पंजीयन नियम 2000, नियम क्रमांक 10 अनुसार जन्म पंजीयन में जन्म दिनांक से 15 वर्ष तक बच्चे का नाम पंजीयन करने का प्रावधान है। लेकिन 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग वालों के लिए यह प्रावधान नहीं था। जिस कारण उन्हें अपना नाम जन्म प्रमाणपत्र में शामिल करने के लिए अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। फिलहाल मनपा प्रशासन के इस आदेश से ऐसे लोगों को कुछ राहत मिलेगी।

एक वर्ष में पंजीयन कराना जरूरी
नियमानुसार प्रत्येक जन्म-मृत्यु का पंजीयन मनपा के जन्म-मृत्यु पंजीयन विभाग में एक साल के भीतर होना आवश्यक है। जिन घटनाओं का उल्लेख एक साल के भीतर नहीं हुआ है, ऐसे मामलों में कोर्ट के आदेश पर जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र उपलब्ध कराया जाता है। इसके लिए पहले मनपा जन्म-मृत्यु विभाग से अनुपलब्धता प्रमाणपत्र लेना पड़ता है। इसके आधार पर कोर्ट (प्रथम श्रेणी न्यायीक दंडाधिकारी) का दरवाजा खटखटाना पड़ता है। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, मनपा जन्म-मृत्यु का प्रमाणपत्र उपलब्ध कराती है। फिलहाल ऐसे लोगों की संख्या सैकड़ों में है, जिनके रिकार्ड मनपा में उपलब्ध नहीं है। वे मनपा से अनुपब्धता प्रमाणपत्र लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं। 

भीड़ को देख बोगस प्रमाणपत्र बनाने वाले भी हुए सक्रिय
सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बाद मनपा के जन्म-मृत्यु विभाग ने अपना रिकार्ड पर नाम चढ़ाने वालों की भीड़ बढ़ी है। इसके बाद फर्जी प्रमाणपत्र बनाने वालों का गिरोह भी अचानक सक्रिय हो गया है। यह गिरोह नागरिकों को प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने के नाम पर फर्जी प्रमाणपत्र उपलब्ध करा रहा है। कुछ मामले भी विभाग के ध्यान में आए है। ऐसे में जन्म-मृत्यु विभाग के प्रमुख डॉ. अतिक रहमान खान ने लोगों से आह्वान किया कि वे बाहरी व्यक्ति या दलालों के बहकावे में न आए। गिरोह के मार्फत नागरिकों की धोखाधड़ी होने पर या फर्जी प्रमाणपत्र निर्गमित होने पर विभाग जिम्मेदार नहीं रहेगा। डॉ. खान ने लोगों से कोरोना के कारण विभाग में भीड़ से भी बचने का आह्वान किया है। 
 

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