तेलतुंबड़े को गिरफ्तारी से मिली राहत 27 फरवरी तक बढ़ी, सिंघानिया आत्मकथा प्रकाशन पर 13 मार्च तक रोक

तेलतुंबड़े को गिरफ्तारी से मिली राहत 27 फरवरी तक बढ़ी, सिंघानिया आत्मकथा प्रकाशन पर 13 मार्च तक रोक

Tejinder Singh
Update: 2019-02-22 15:46 GMT
तेलतुंबड़े को गिरफ्तारी से मिली राहत 27 फरवरी तक बढ़ी, सिंघानिया आत्मकथा प्रकाशन पर 13 मार्च तक रोक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी प्रोफेसर आनंद तेलतुंबड़े को गिरफ्तारी से मिली राहत 27 फरवरी तक के लिए बढा दिया है। तेलतुंबडे ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दायर की है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति नितिन सांब्रे  ने तेलतुंबड़े के जमानत आवेदन पर 27 फरवरी तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी। पुलिस ने तेलतुंबडे पर माओंवादी संगठनों से संबंध होने का आरोप लगाया है। इस मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए तेलतुंबड़े ने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दायर की है। 

सिंघानिया की आत्मकथा के प्रकाशन पर 13 मार्च तक रोक

बांबे हाईकोर्ट ने रेमंड समूह के पूर्व चेयरमैन विजयपत सिंघानिया को निर्देश दिया है कि वह आगामी 13 मार्च तक अपनी आत्मकथा से जुड़ी किताब को प्रकाशित न करे। न्यायमूर्ति एस के शिंदे ने यह अतंरिम निर्देश जारी किया है। आदेश में साफ किया गया है कि सिंघानिया अगामी 13 मार्च तक ‘‘द इनकंपलीट मैन’’ शीर्षक के तहत लिखी गई अपनी आत्मकथा को प्रकाशित न करे। न्यायमूर्ति शिंदे ने यह निर्देश सिंघानिय की ओर से दायर किए गए आवेदन पर सुनवाई के दौरान दिया। इस आवेदन में सिंघानिया ने मांग की है कि ठाणे कोर्ट में रेमंड कंपनी की ओर से दायर किए गए दावे को मुंबई सिटी सिविल कोर्ट में स्थनांतरित कर दिया जाए। क्योंकि उनके बेटे ने मुंबई सिटी सिविल कोर्ट में इसी विषय पर एक दावा दायर किया है। ठाणे कोर्ट में दायर किए गए दावे में कंपनी ने मांग की है कि सिंघानिया को उनकी आत्मकथा से जुड़ी किताब को प्रकाशित करने से रोका जाए। क्योंकि इसमें कंपनी को लेकर मानहानीपूर्ण बातें हो सकती हैं। न्यायमूर्ति एसके शिंदे के सामने मामले की सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने मामले की सुनवाई 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी और तब तक सिंघानिया को अपनी आत्मकथा से जुड़ी किताब को प्रकाशित न करने का निर्देश दिया। 
 

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