शहर में जिओ के टॉवर लगाने में नियम-शर्तों की जमकर उड़ीं धज्जियाँ, टैक्स लेने की फाइल ही गायब करवा दी गई

शहर में जिओ के टॉवर लगाने में नियम-शर्तों की जमकर उड़ीं धज्जियाँ, टैक्स लेने की फाइल ही गायब करवा दी गई

Bhaskar Hindi
Update: 2020-10-24 09:20 GMT
शहर में जिओ के टॉवर लगाने में नियम-शर्तों की जमकर उड़ीं धज्जियाँ, टैक्स लेने की फाइल ही गायब करवा दी गई

रिलायंस जिओ ने जगह-जगह खड़े किये मोबाइल टॉवर, रेडिएशन का खतरा ताक पर रख अब एक लाख सालाना की जगह सिर्फ 11 सौ में टॉवर की परमीशन, बेशकीमती भूमि पर टॉवर लगाने के बाद कोई भुगतान भी नहीं
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
रेडिएशन के खतरे को नजरअंदाज करते हुए नगर निगम ने रिलायंस जिओ के मोबाइल टॉवर लगाने कम्पनी को एक तरह से मुफ्त में अनुमति प्रदान कर दी। शहर की बेशकीमती भूमियों पर ये टॉवर लगा भी दिए गए और अब केवल इनके रिन्यूवल की नाममात्र की राशि ही प्राप्त हो रही है। पहले तो एक टॉवर लगाने के लिए 1 लाख रुपए लिए जाते थे, लेकिन कम्पनी पर सरकार की ऐसी इनायत हुई कि अब सिर्फ 11 सौ रुपए में ही टॉवर लगाने की अनुमति धड़ाधड़ दी जा रही है। जनता रेडिएशन जनित बीमारी से मरे या तनाव से सरकार को कोई लेना-देना नहीं। इस मामले में एक खेल यह भी हुआ कि पहले सरकार ने नगर निगम के ऊपर यह दायित्व सौंपा था कि कम्पनी से प्रति टॉवर कितना किराया या शुल्क लेना है यह निगम की सदन में तय किया जाए, लेकिन उससे सम्बंधित फाइल ही गुमा दी गई। 
रिलायंस जिओ ने शहर में टॉवरों का जाल बिछाने  परमीशन ले रखी है। खास बात यह है कि पहले नगर निगम से रिलायंस जिओ ने एक सैकड़ा फोर जी टॉवर लगाने परमीशन ली थी जिसमें हर टॉवर के लिये 1 लाख रुपये शुल्क जमा कराया गया था। इसके बाद हर पाँच साल में इन टॉवरों का रिन्यूवल कराना था और उसका नियम के अनुसार भुगतान करना था। इससे पहले ही वर्ष 2018 में टॉवर की परमीशन देने का मामला कलेक्टर के पास पहुँच गया, जहाँ  शासन ने इस मामले में और भी रियायत बरती, एक तरफ  जहाँ नगर निगम टॉवर की परमीशन के 1 लाख रुपये लेता था वहाँ अब मात्र 11 सौ रुपये का ट्रेजरी में चालान जमा करके परमीशन मिल रही है। 
टॉवर लगने के बाद ही किया जाएगा भुगतान
मोबाइल टॉवर लगाने की अनुमति तो 11 सौ रुपये में मिल जाती है, लेकिन नये नियम के अनुसार जब टॉवर खड़ा किया जाता है उस दौरान जिस क्षेत्र में टॉवर लगाया जा रहा है वहाँ कितनी जमीन घेरी जा रही है उसके अनुसार कलेक्टर गाइड लाइन से 20 फीसदी स्टाम्प शुल्क कंपनी को जमा करना होता है। इस तरह एक टॉवर में लगभग 9 स्क्वेयर मीटर या फिर 2 बाय 2 स्क्वेयर मीटर की जगह ही लगती है। इसमें क्षेत्र के अनुसार कंपनी को फिर लगभग 1 से सवा लाख रुपये जमा करने होते हैं। हालाँकि कंपनी के नुमाइंदे पहले ही यह खेल जारी रखे हुए हैं कि जो प्राइम लोकेशन हैं उन्हें पहले से ही फँसा लिया जाये और यह परमीशन मात्र 11 सौ रुपये में उन्हें मिल रही है। 
यह है नियम
*जहाँ टॉवर लगे वहाँ आसपास के रहवासियों को परेशानी न हो।
8जमीन में कोई विवाद न हो। 
*बिल्डिंग में लग रहा है तो उसका नक्शा पास हो और स्ट्रक्चर मजबूत हो। 
*किसी भी तरह की समस्या आने पर एग्रीमेंट निरस्त माना जाता है। 

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