सच साबित हुआ दावा, बक्सवाहा के जंगल में मिली पाषाण युग की रॉक पेंटिंग

सच साबित हुआ दावा, बक्सवाहा के जंगल में मिली पाषाण युग की रॉक पेंटिंग

Bhaskar Hindi
Update: 2021-07-24 16:52 GMT
सच साबित हुआ दावा, बक्सवाहा के जंगल में मिली पाषाण युग की रॉक पेंटिंग



डिजिटल डेस्क जबलपुर। हाईकोर्ट और एनजीटी के निर्देश के बाद की गई एएसआई की जांच पडताल में बक्सवाहा के जंगल में रॉक पेंटिंग होने का दावा सच साबित हुआ है। ऑर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के सर्वे में छतरपुर जिले के बक्सवाहा जंगल में पाषाण और मानव इतिहास के पूर्व काल की तीन रॉक पेंटिंग मिली हैं, जिसके 25 से 30 हजार वर्ष पुरानी होने का अनुमान लगाया गया है। यह रिपोर्ट हाईकोर्ट और एनजीटी में पेश की जाएगी।
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव की ओर से हाईकोर्ट और एनजीटी में अलग-अलग याचिका दायर कर बक्सवाहा के जंगल में मिली रॉक पेंटिंग को संरक्षित करने की माँग की गई थी। याचिका में कहा गया है कि बक्सवाहा के जंगल की 382 हेक्टयेर वन भूमि में हीरा खदान की अनुमति देने से पाषाण युग की रॉक पेंटिंग के नष्ट होने का खतरा है। एएसआई के डॉ. सुजीत नयन के नेतृत्व में 10 से 12 जुलाई तक बक्सवाहा के जंगल का सर्वे किया गया। जिसमें पाषाण और मानव इतिहास के पूर्व की तीन जगह रॉक पेंटिंग मिली हैं। एएसआई ने यह सर्वे रिपोर्ट याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को भेजी है।
ऐसी है रॉक पेंटिंग
एएसआई को मिली पहली रॉक पेंटिंग लाल रंग से बनाई गई है, जो अस्पष्ट है। दूसरी रॉक पेंटिंग पाषाण युग के मध्यकाल की बताई जा रही है। यह लाल रंग और चारकोल से बनी हुई है। तीसरी रॉक पेंटिंग भी लाल रंग से बनी है, जो मानव इतिहास काल की है। इसमें युद्ध के चित्र उकेरे गए हैं।
पुरातात्विक महत्व के स्थान भी मिले
एएसआई के सर्वे में रॉक पेंटिंग के अलावा कुशमार गाँव में पाषाण युग की मूर्ति भी मिली है। इसी गाँव में खेरमाता प्लेटफॉर्म में कई मूर्तियाँ मिली हैं, जो चंदेल और कल्चुरी काल की हैं। यहाँ पर गणेश और हनुमान की मूर्ति भी मिली है। इसके समीप पाषाण और खम्भा भी मिला है।

 

 

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