किसानों की खुदकुशी मसला रातों रात नहीं सुलझेगा : सुप्रीम कोर्ट
किसानों की खुदकुशी मसला रातों रात नहीं सुलझेगा : सुप्रीम कोर्ट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को स्पष्ट किया कि किसानों की खुदकुशी का मसला रातोंरात नहीं सुलझाया जा सकता। कोर्ट ने सरकार के इस निवेदन से सहमति जताई कि फसल बीमार योजना जैसी स्कीम्स के जरिए सकारात्मक परिणााम पाने में एक साल का वक्त लग सकता है।
चीफ जस्टिस जेएस खेखर और जस्टिस डीवाय चंद्रचूड ने एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए एटाॅर्नी जनरल की इस दलील को जायज ठहराया कि सरकार को प्रभावी नतीजे देने के लिए एक साल का वक्त देना चाहिए। एटाॅर्नी जनरल ने सरकार द्वारा उठाए गए किसान समर्थक परियोजनाओं का हवाला देते हुए कहा था कि इनके प्रभावी नतीजों को सामने लाने के लिए सरकार को एक साल का वक्त देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश के 12 करोड़ किसानों में से 5.34 करोड़ किसान इन योजनाओं के दायरे में लाए गए हैं जिनमें फसल बीमा योजना भी शामिल है। उन्होंने यह भी कहा कि देश के 30 प्रतिशत कृषि रकबे को फसल बीमा योजना के दायरे में लाया गया है और अगले साल तक इसमें और विस्तार किया जाएगा। कोर्ट पहले किसानों की आत्महत्याओं की बढ़ती संख्याओं पर चिंता जताई थी। बैंच ने केंद्र से उन उपायों को लागू करने का सुझाव दिया है जिससे किसानों की आत्महत्याओं के मामलों में कमी लायी जा सके।