‘क्षेत्र ग्रिड’से बाघों की गणना होगी सटीक और आसान

‘क्षेत्र ग्रिड’से बाघों की गणना होगी सटीक और आसान

Anita Peddulwar
Update: 2017-12-02 10:27 GMT
‘क्षेत्र ग्रिड’से बाघों की गणना होगी सटीक और आसान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बाघों की सटीक गणना के लिए इस बार क्षेत्र ग्रिड मददगार साबित होगा। उल्लेखनीय है कि  बाघों की राष्ट्रीय गणना 2018 की शुरुआत हो चुकी है। सितंबर-अक्टूबर में ट्रेनरों को ट्रेनिंग देने के बाद गणना के पहले चरण की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन इस बार बाघों की गणना की प्रक्रिया में और सुधार करते हुए गणना को और  सटीक बनाने के लिए प्रत्येक ग्रिड का आकार घटाया गया है।

4 से घटाकर 2 वर्ग किलोमीटर रखा ग्रिड का आकार 

सूत्रों के अनुसार बाघों की गणना के लिए पहले क्षेत्र का आकार 4 वर्ग किलोमीटर का रखा जाता था, लेकिन इस बार की राष्ट्रीय बाघ गणना के आंकड़ों को और सटीक बनाने के लिए ग्रिड का आकार 4 से घटाकर 2 वर्ग किलोमीटर रखा जाएगा। इससे बाघों की गणना में सटीकता आएगी। इस राष्ट्रीय स्तर की गणना के लिए ग्रिड का आकार घटाने से गणना में कर्मचारियों की संख्या भी अधिक लगेगी लेकिन  नियोजित ढंग से पूरा करने की तैयारी कर ली गई है। 

रिपोर्ट मार्च 2019 तक  पेश करने की योजना 
बता दें हर चार साल में देश में बाघों की गणना की जाती है। 2014 में बाघ गणना के बाद 2018 में इस राष्ट्रीय अभियान को पूरा करने के लिए  पहले चरण की शुरुआत सितंबर-अक्टूबर में की गई थी, जिसमें ट्रेनरों को प्रशिक्षित किया गया। पहले चरण में 10 दिन के प्रोटोकॉल की तैयारी के साथ फरवरी अंत तक पहले चरण की सैम्पलिंग पूरी कर ली जाएगी। अप्रैल 2018 अंत तक डाटा सैम्पलिंग एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) और भारतीय वन्यजीव संस्थान को पेश की जाएगी।   तीसरे और चौथे चरण की सैम्पलिंग की तैयारी नवंबर माह से ही शुरू हो गई थी, जो नवंबर 2018 तक चलेगी। इस दौरान कैमरा ट्रैप लगाने से लेकर गणना तक की जाएगी। डाटा एंट्री का कार्य दिसंबर 2018 तक चलेगा। वहीं डाटा विश्लेषण मई 2018 से शुरू होकर फरवरी 2019 तक चलेगा और अंत में रिपोर्ट मार्च 2019 तक  पेश करने की योजना वन विभाग की है।


 

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