परमबीर को हटाना सामान्य फैसला नहीं था, गृहमंत्री देशमुख बोले - जांच में हुए खुलासे माफ करने लायक नहीं
परमबीर को हटाना सामान्य फैसला नहीं था, गृहमंत्री देशमुख बोले - जांच में हुए खुलासे माफ करने लायक नहीं
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने स्वीकार किया कि आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से हटाने का फैसला सामान्य प्रशासनिक फैसला नहीं था। उन्होंने कहा कि जांच में कई चीजें सामने आईं हैं, जो माफ करने लायक नहीं हैं। सारी परिस्थितियों को देखते हुए मैंने और मुख्यमंत्री ने फैसला किया कि जांच ठीक से हो और इसमें कोई बाधा नहीं आए इसलिए परमबीर सिंह को हटाया गया। एक निजी अखबार के कार्यक्रम में शामिल हुए देशमुख ने कहा कि मुंबई पुलिस मुख्यालय में ही तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों से जो गंभीर गलतियां हुईं उन्हें माफ नहीं किया जा सकता है। एटीएस और एनआईए की जांच में जो दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। बता दें कि एंटीलिया के बाहर विस्फोटक मिलने की जांच कर रही एनआईए ने मुंबई पुलिस आयुक्तालय में स्थित सीआईयू के ऑफिस में छापेमारी कर वाझे के खिलाफ कई अहम सबूत हासिल किए हैं। इसके अलावा यहां से वाझे की मर्सिडीज कार भी बरामद हुई है जिसमें 5 लाख रुपए से ज्यादा नकद, नोट गिनने की मशीन, कपड़े, पेट्रोल, डायरी आदि बरामद हुई है। एनआईए की इस कार्रवाई के बाद ही परमबीर सिंह को हटाने का फैसला किया गया। इस मामले में एनआईए सिंह से पूछताछ भी कर सकती है। पुलिस कमिश्नर से पूछताछ के चलते ज्यादा बदनामी होने के डर से भी राज्य सरकार ने उन्हें पद से हटाना बेहतर समझा।
दो और गाड़ियां जब्त
एंटीलिया विस्फोटक मामले की जांच कर रही एनआईए ने दो और गाड़ियां जब्त की हैं। इसमें एक मर्सिडीज जबकि दूसरी प्राडो गाड़ी है। एनआईए को आशंका है कि अपराध में इन दोनों गाड़ियों का भी इस्तेमाल किया गया है। एनआईए अब तक मामले में पांच गाड़ियां जब्त कर चुकी है। विस्फोटक रखने के लिए इस्तेमाल हुई स्कॉर्पियों, आरोपी के भागने के लिए इस्तेमाल हुई इनोवा और सचिन वाझे की मर्सिडीज कार पहले ही जब्त की जा चुकी थी।
रियाज काजी बनेगा गवाह?
एंटीलिया के बाहर विस्फोटक रखने के आरोप में गिरफ्तार अनिल वाझे की मुश्किलें बढ़ सकतीं हैं। इस मामले में एनआईए सीआईयू में तैनात और वाझे के करीबी रहे एपीआई रियाज काजी को सरकारी गवाह बना सकती है। वाझे के निर्देश पर ही काजी ने फर्जी नंबर प्लेट बनवाए थे साथ ही साकेत सोसायटी से जांच के नाम पर पत्र देकर सीसीटीवी का डीवीआर हासिल किया था। लगातार चार दिन चली पूछताछ में रियाज ने वाझे के कहने पर सबूत मिटाने की बात स्वीकार कर ली है। गुरूवार को उससे पूछताछ नहीं की गई।
किसने सौंपी वाझे को जांच?
एपीआई के पद पर तैनात सचिव वाझे को एंटीलिया जैसे अहम मामले की जांच किसके कहने पर सौंपी गई एनआईए यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है। इस मामले में अपराध शाखा के वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ हो सकती है। फिलहाल मिलिंद भारंबे अपराध शाखा के संयुक्त पुलिस आयुक्त हैं जबकि प्रकाश जाधव बतौर डीसीपी तैनात हैं। एनआईए इनके बयान दर्ज कर सकती है। वरिष्ठ होने के चलते वाझे को इन अधिकारियों को तफ्तीश से जुड़ी जानकारी देनी चाहिए थी लेकिन वह सीधे मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को रिपोर्ट करता था। एनआईए यह भी जानना चाहती है कि इसकी वजह क्या है। इसके अलावा मामले में आघाड़ी सरकार के उन मंत्रियों तक भी जांच की आंच आ सकती है वाझे जिनके संपर्क में था।