पन्ना टाईगर रिजर्व में हुई गिद्धों के व्यवहार की प्राथमिक जानकारी की अनूठी पहल

पन्ना पन्ना टाईगर रिजर्व में हुई गिद्धों के व्यवहार की प्राथमिक जानकारी की अनूठी पहल

Ankita Rai
Update: 2022-03-14 08:38 GMT
पन्ना टाईगर रिजर्व में हुई गिद्धों के व्यवहार की प्राथमिक जानकारी की अनूठी पहल

डिजिटल डेस्क,  पन्ना। प्रदेश में पन्ना टाइगर रिजर्व में गिद्धों के व्यवहार और रहवास के मामले में प्रमाणिक जानकारी जुटाने में देश में पहली बार अनूठी पहल हुई है। यहाँ गिद्धों को पकडकर जीपीएस टैगिंग की जा रही है। गिद्ध टेलीमेट्री परियोजना की बडी उपलब्धि हासिल हुई है। गिद्ध टैगिंग भारत के ओल्ड वल्र्ड गिद्धों के विलुप्त होने से रोकने और संरक्षण की सुनियोजित पहल है। इस अनूठी पहल से अब तक 14 गिद्ध प्रजातियों को 24 देशों में टैग कर अध्ययन किया गया है। इसमें कोई भी भारत से नहीं है। भारत में गिद्धों की 9 प्रजातियाँ हैं। गिद्ध प्रजाति के संरक्षण में प्रदेश को अच्छे परिणाम मिले हैं। वर्ष 2021 में गिद्धों ब?कर 9446 हो गई है। 
7 प्रजाति के गिद्ध है पन्ना टाइगर रिजर्व में
भारत में उपलब्ध गिद्धों की 9 प्रजातियों में से 3 प्रजाति संकट ग्रस्त है। इनमें से 7 प्रजाति पन्ना टाइगर रिजर्व में उपलब्ध है। इनमें हिमालयन ग्रिफॉनए यूरेशियन ग्रिफॉन और सिनरस जैसी प्रवासी प्रजातियाँ और भारतीय लम्बी चेंच वाला गिद्धए सफेद पीठ वाला राज गिद्ध और इजीप्सियन गिद्ध जैसी प्रवासी प्रजातियाँ शामिल है। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक श्री उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व में उपलब्ध 25 गिद्धों को सौर ऊर्जा चलित जीपीएस उपकरणों से टैग किया गया है। इसमें थ्री डी त्वरण सेंसर शामिल हैं। जीपीएस टैग डेटा उपग्रह के माध्यम से ट्रैक किया जा रहा है। श्री शर्मा ने बताया कि जीपीएस टैगिंग का कार्य पन्ना टाइगर रिजर्व और भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के शोधकर्ता की टीम द्वारा 2020-21 एवं 2021-22 में सर्दियों के दौरान किया गया है।
गिद्धों के संरक्षण में सार्थक कदम
पिछले कुछ दशको में गिद्धो की संख्या में भारी कमी आई है। गिद्धों के संरक्षण के प्रयास देश भर में तकरीबन 10.12 वर्ष पहले से शुरू हुए और टेलीमेट्री आधारित परियोजना इस दिशा में सार्थक कदम है। जीपीएस टैगिंग के माध्यम से गिद्धों के आने.जानेए प्रवास के मार्ग की जानकारी और रहवास आदि की महत्वपूर्ण जानकारी पता चलती है। इससे गिद्धों का वैज्ञानिक प्रबंधन सुनिश्चित हो सकेगा। इस व्यवस्था में जीपीएस टैगिंग के साथ गिद्धों के स्वास्थ्य परीक्षण में खून के नमूने लिये गए है। इससे गिद्धों के स्वास्थ्य का स्टेटस पता चल सकेगा। गिद्धों की यह जानकारियाँ भविष्य में गिद्धों के प्रबंधन की नीतियाँ बनाने में अहम साबित होंगी।

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