सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस की एंट्री में माया बनी, पवार-अब्दुल्ला की अपील पर गंभीर नहीं

सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस की एंट्री में माया बनी, पवार-अब्दुल्ला की अपील पर गंभीर नहीं

Tejinder Singh
Update: 2019-02-15 16:11 GMT
सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस की एंट्री में माया बनी, पवार-अब्दुल्ला की अपील पर गंभीर नहीं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस को शामिल किए जाने की कोशिशें परवान चढ़ती नहीं दिख रही है। दरअसल राकांपा सुप्रीमों शरद पवार और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला चाहते हैं उत्तरप्रदेश में भाजपा को शिकस्त देने के लिए सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस को भी शामिल किया जाए। लेकिन बसपा की जिद के चलते विपक्ष के इन दोनों दिग्गज नेताओं की यह कोशिश कामयाब होती नजर नहीं आ रही है। दरअसल भाजपा के खिलाफ गोलबंद हो रहे विपक्ष को इस बात की आशंका है कि उत्तरप्रदेश में छोटे दलों के साथ कांग्रेस के एक अलग मोर्चा बना लेने के बाद चुनाव त्रिकोणीय हो जाएगा, जिसका फायदा आखिरकार भाजपा को होगा। खास कर प्रियंका गांधी के कांग्रेस महासचिव बनने के बाद उत्तरप्रदेश में बदले सियासी माहौल के बाद विपक्षी नेताओं की यह आशंका हकीकत के करीब दिख रही है। लिहाजा शरद पवार और फारूक अब्दुल्ला ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमों मायावती से आग्रह किया है कि अपने गठबंधन में वे कांग्रेस को भी समायोजित करें। सूत्र बताते हैं कि इस अपील पर अखिलेश यादव का रवैया थोड़ा सकारात्मक है, परंतु बसपा सुप्रीमों मायावती ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है।

अमेठी-रायबरेली सीट पर भी पुनर्विचार के दिए संकेत

बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस को शामिल करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। उन्होने कहा कि इसके उलट उत्तरप्रदेश में कांग्रेस की अति सक्रियता को देखते हुए गठबंधन में इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि अमेठी और रायबरेली की सीट भी कांग्रेस के लिए छोड़ा जाए या नहीं। बसपा नेता ने कहा कि यदि हमने अमेठी और रायबरेली में अपना उम्मीदवार उतार दिया तो फिर कांग्रेस के दोनों शीर्ष नेताअेां का लोकसभा में पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। दरअसल प्रियंका गांधी का सक्रिय राजनीति में आना और उत्तरप्रदेश में लगातार बैठकें करना बसपा को रास नहीं आया है, क्योंकि उसे इससे दलित व मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगने का डर सता रहा हे। हालांकि बसपा नेता सतीशचन्द्र मिश्रा का दावा है कि प्रियंका के आने से उनके वोटबैंक को कोई खतरा नहीं है।

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