किसानों का जीवन सुधारने विज्ञान का प्रयोग आवश्यक : डा. पेशवे

किसानों का जीवन सुधारने विज्ञान का प्रयोग आवश्यक : डा. पेशवे

Anita Peddulwar
Update: 2019-10-22 09:46 GMT
किसानों का जीवन सुधारने विज्ञान का प्रयोग आवश्यक : डा. पेशवे

डिजिटल डेस्क,  नागपुर।  किसानों का जीवनस्तर सुधारने के लिए विज्ञान व प्राद्योगिकी का प्रयोग आवश्यक है। यह कहना है डा. दिलीप पेशवे का। वे सी.पी. एण्ड बेरार महाविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग द्वारा "इंटरवेंशन आफ साइंस एंड टेक्नालाॅजी फाॅर दी डेवलपमेंट आफ विदर्भ रीजन" विषय पर आयोजित 2 दिवसीय चर्चासत्र में बोल रहे थे। 

उन्होंने कहा कि विभिन्न शिक्षा संस्थाओ में समाजोपयोगी अनुसंधान होने चाहिए। साथ ही वे केवल प्रयोगशाला तक सीमित न रह कर अधिक से अधिक स्थानों पर पहुंचें, इसके लिए भी प्रयत्न होने चाहिए। चतुर्थ सत्र के प्रारंभ में वरिष्ठ पत्रकार कार्तिक लोखंडे ने विदर्भ विकास वैज्ञानिक मंडल द्वारा किए हुए महत्वपूर्ण शोध के विषय में जानकारी दी। उपरांत वरिष्ठ पत्रकार योगेश पांडे ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर विशेषज्ञ सदस्य कपिल चंद्रायण प्रमुखता से उपस्थित थे।  समन्वय सचिव अरविंद जोशी ने प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। अंत में समापन सत्र के अध्यक्ष प्राचार्य डा. मिलिंद बारहाते ने मंडल की भूमिका व योगदान पर चर्चा की। आभार प्रदर्शन समाजशास्त्र विभाग के डा. अरविंद जोशी ने तथा संचालन डा. रश्मि पारसकर ने किया। 

नए पुराने -गीतों ने श्रोताओं की दिल जीता

रजनीगंधा के गायकों ने बॉलीवुड के नए, पुराने गीतों  पर प्रस्तुति कर श्रोताओं का दिल जीत लिया। ‘छूकर मेरे मन को...’ कार्यक्रम का आयोजन साईं मंदिर के पीछे वर्धा रोड स्थित विकास सभागृह में किया गया। कार्यक्रम की संकल्पना रजनीगंधा की संचालिका  परिणीता मातूरकर की तथा सह-संयोजन तुषार विघ्ने तथा एडवोकेट सिमरन नायडू का था। डॉ. प्रशांत मातुरकर व दीपक तांबेकर का विशेष सहयोग रहा। गायक कलाकार अंजलि बागडे, सुदेश अय्यर, प्रतिभा कडू, अजय देशपांडे, विजय पांडे, आशुतोष चहांदे, डॉ. हेमा फुलारे, गिरीश शर्मा, माधव पटले, मंगेश देशमुख, किरण जायस्‍वाल, प्रमोद अंधारे, प्रशांत मानकर, प्रिया गुप्‍ता, राजेश खरवडकर, रवींद्र परांजपे, सैले गुप्‍ता, एड. शाम अहीरकर, एस. के. दीक्षित और अनिल मोहता ने विविध गीतों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरूआत "इतनी शक्ति हमें दे ना दाता...’ से की गई।  उपरांत "रस्‍मे उलफत को, नजर न लग जाए..., देखता हूं कोई लड़की हंसी..., मुझे इश्‍क है तुम्ही से..., कोई नजराना लेके आया है..., दिल के टुकड़े..., है दिल तो आवारा..." गीत प्रस्तुत किए।  कार्यक्रम का समापन "जय-जय शिवशंकर" गीत से किया गया।  

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