रीजनल वेदर सेंटर में कर्मचारियों का टोटा, 5 कर्मचारियों के भरोसे उड़ान भर रही 1000 फ्लाइट

रीजनल वेदर सेंटर में कर्मचारियों का टोटा, 5 कर्मचारियों के भरोसे उड़ान भर रही 1000 फ्लाइट

Anita Peddulwar
Update: 2018-08-03 08:04 GMT
रीजनल वेदर सेंटर में कर्मचारियों का टोटा, 5 कर्मचारियों के भरोसे उड़ान भर रही 1000 फ्लाइट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश भर के 5 क्षेत्रीय मौसम केंद्र में से एक नागपुर क्षेत्रीय मौसम केंद्र इस समय कर्मचारियों की भारी कमी से जूूझ रहा है। केंद्र के लिए 41 सहायक वैज्ञानिकों के पद मंजूर हैं पर हैं कुल पांच। इनके ऊपर ही नागपुर विमानतल पर उतरने वाले व यहां से उड़ने वाले करीब 50 विमानों तथा नागपुर के ऊपर से रोजाना गुजरने वाले 800 से 1000 विमानों को मौसम संबंधी आंकड़े देने, अनुमान देने तथा वेधशाला के अवलोकन का भार होता है। यदि मौसम संबंधी आंकड़े विमानों को न मिलें, तो इनका उतरना या उड़ना मुश्किल हो जाए।

सूत्रों के अनुसार ये विभाग 24 घंटे कार्यरत होते हैं। वैज्ञानिक सहायक का पद बी श्रेणी का होता है और अराजपत्रित पद है। ऐसा नहीं है कि हाल ही में यह स्थिति निर्मित हुई है। सालों से पद खाली पड़े हैं। मांग की जा रही है लेकिन दिल्ली स्थित मुख्यालय में बैठे आला अधिकारियों के कान पर जूं ही नहीं रेंगती। 

अन्य विमानतलों को भी देनी होती है सूचना
नागपुर क्षेत्रीय केंद्र के अंतर्गत विदर्भ, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश भी आता है। मुश्किल यह है कि नागपुर केंद्र पर पदस्थ सहायकों को छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश के भोपाल, रायपुर, जबलपुर, जगदलपुर व इंदौर के विमान तलों पर अल-सुबह आने व उड़ने वाले विमानों के लिए भी जानकारी पहुंचानी पड़ती है। इन स्थानों पर भी मौसम विभाग के कार्यालय हैं, लेकिन रात पाली में ये बंद हो जाते हैं। इनका अतिरिक्त बोझ नागपुर केंद्र पर ही होता है। 

एक विभाग को बनाया दो 
हाल ही में विमानतल इमारत स्थित क्षेत्रीय मौसम अनुमान केंद्र को दो विभागों में विभक्त किया गया है। एक विभाग आंकड़े इकट्ठा करने व वेधशाला से आबजर्वेशन लेने का कार्य करता है। दूसरा आंकड़ों को विमानों तक पहुंचने का। दोनों विभाग 4 पाली में 24 घंटे कार्यरत रहते हैं। प्रत्येक पाली में 3 वैज्ञानिक सहायकों की आवश्यकता होती है, लेकिन हैं कुल 5 वैज्ञानिक सहायक। अब स्थिति यह है कि एक विभाग में पदस्थ व्यक्ति ही दोनों विभागों के बीच दौड़ता रहता है। इतना ही नहीं मौसम विज्ञानी ‘अ’ श्रेणी व ‘ब’ श्रेणी को भी वैाज्ञानिक सहायकों के कार्य पर लगाया गया है। इससे उनके कार्यों पर भी बुरा असर हो रहा है।

खास यह कि मौसमविज्ञानियों के पद भी पूरे भरे नहीं हैं। यहां पदस्थ व्यक्तियों को हर समय यह डर सताता रहता है कि कोई छुट्टी न ले ले। सूत्रों के अनुसार इन विभागों में कार्यरत वैज्ञनिक सहायक व मौसम विज्ञानियों को छुट्टी लेने की पूर्व सूचना आला अधिकारियों को देनी होती है। 

1150 पदों के लिए हुआ इंटरव्यू
जानकारी के अनुसार करीब 1150 वैज्ञानिक सहायकों के पदों के लिए मौसम विज्ञान के दिल्ली मुख्य केंद्र में साक्षात्कार हुए हैं। हालांकि अभी तय नहीं है कि इन में से नागपुर केंद्र को कुछ वैज्ञानिक सहायक मिल सकेंगे या नहीं। जानकारी यह भी है कि नागपुर के अंतर्गत आने वाले भोपाल केंद्र में कार्य से अधिक वैज्ञानिक सहायक पदस्थ हैं। 
 

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