वेकोलि के प्रोसेस्ड वाटर प्लांट से बुझेगी प्यास, लहलहाएगी खेती

वेकोलि के प्रोसेस्ड वाटर प्लांट से बुझेगी प्यास, लहलहाएगी खेती

Anita Peddulwar
Update: 2018-05-21 09:17 GMT
वेकोलि के प्रोसेस्ड वाटर प्लांट से बुझेगी प्यास, लहलहाएगी खेती

डिजिटल डेस्क,नागपुर| वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड का प्रोसेस्ड वाटर प्लांट से जहांं लोगों की प्यास बुझेगी वहीं खेतों को भी जीवन मिलेेगा। वेकोलि ने हाल ही में महाजेनको के साथ भानेगांव खदान से निकले पानी का नि:शुल्क उपयोग खापरखेड़ा विद्युत तापगृह में करने हेतु एग्रीमेंट किया है। इस करार के अनुसार वेकोलि, महाजेनको को 10.76 एमएमक्यूब पानी प्रति वर्ष नि:शुल्क देगी। वर्तमान में विदर्भ सिंचाई विकास निगम के पेंच प्रोजेक्ट से महाजेनको 37 एमएम क्यूब पानी लेता है। इस नयी व्यवस्था से महाजेनको की बड़ी रकम भी बचेगी और वीआईडीसी के पानी का उपयोग नागपुर शहर के लिए हो सकेगा।

इसी प्रकार कोयला कंपनी वीआईडीसी से भी एक अन्य सहमति पत्र पर करार करने जा रही है। इसके पूर्व वेकोलि ने नागपुर के पास नीलगांव के ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए एक प्रोसेस्ड वाटर प्लांट लगवाया, जिससे इस गांव के करीब 800 लोगों को पीने का शुद्ध पानी मिल रहा है। इस प्लांट की इंस्टाल्ड केपेसिटी 1000 लीटर प्रति घंटा है। इस संयंत्र में कोयला खदान का पानी पाइप लाइन के जरिए करीब डेढ़ किलोमीटर दूर से गांव तक लाया जाता है। प्रोसेस्ड पानी पीने के अलावा, खदान का पानी किसानों को खेती और सिंचाई के लिए भी नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है।

अब अस्पताल के बार-बार चक्कर नहीं लगाने पड़ते
नीलगांव निवासी (65) वसंता मोतीराम धोटे पेशे से किसान हैं। राजनीति में भी रूचि रखते हैं। वेकोलि के इस कदम की सराहना करते हुए वे कहते हैं कि दो घुंडी में 30 लीटर पानी घर पर ले आते हैं। प्रोसेस्ड वाटर पीने से अब तबीयत ठीक रहती है। इसके पहले होने वाली बीमारियों में कमी आने से इलाज और दवाई का खर्च अपने-आप कम हो गया है। अस्पताल और डॉक्टर का चक्कर बार-बार नहीं लगाना पड़ता है। 

पेट की तकलीफ से मुक्ति
शेषराव गुलाबराव मानकर कहते हैं कि, पेट की तकलीफ खत्म हो गई, पानी भी स्वादिष्ट है। डब्ल्यूसीएल ने हमारे बारे में सोचा और दो किलोमीटर दूर से पानी ला कर दिया पीने के लिए भी और खेती के लिए भी। पहले इसके बारे में किसी ने सोचा ही नहीं था। 

अब संतरे के पेड़ भी लहलहा रहे हैं
लीलाधर अजबराव धोटे (50) खेती किसानी करते हैं। उनकी राय में भी अब यह अच्छी सुविधा हो गई। परिवार के लोग इस बात का ध्यान रखते हैं कि, प्रोसेस्ड पानी जरा भी बर्बाद न हो। साथ ही खदान के पानी से अब संतरा पेड़ भी लहलहा उठे हैं।

पेयजल की झंझट ही खत्म हो गई
ग्राम पंचायत में कार्यरत ईश्वर मारोतराव (36) के अनुसार गांव में पेयजल की झंझट खत्म हो गयी है। एक कैन पानी पूरे परिवार को काफी होता है। अब इससे काफी सुविधा हो गई है।

स्वच्छ पानी मिल रहा पीने के लिए 
भूतपूर्व सरपंच वनीता मानकर कहती हैं कि, साफ स्वच्छ पानी पूरे परिवार को पीने के लिए मिले, इसकी खुशी एक महिला से ज्यादा और कौन महसूस कर सकता है। 

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