वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को लेकर मनपा नहीं बढ़ा रही कदम, फिर से प्रोजेक्ट में हो सकता है बदलाव

वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को लेकर मनपा नहीं बढ़ा रही कदम, फिर से प्रोजेक्ट में हो सकता है बदलाव

Anita Peddulwar
Update: 2019-11-06 08:32 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  वेस्ट टू एनर्ज प्लांट के बारे में अभी भी मनपा की कोई स्पष्ट नीति नजर नहीं आ रही है। इसके लिए पहले भी कई अटकलें लगाई गई थीं। कचरे को लेकर मनपा अब तक कोई निर्णय नहीं ले पाई है। पहले वेस्ट टू एनर्जी प्लांट बना कर खाद बनाने की तैयारी की थी। फिर उससे बिजली बनाने का योजना थी। इसके बाद कचरे को जबलपुर ले जाने की बात की गई और अब फिर से प्रोजेक्ट में बदलाव कर नए सिरे से  शुरू करने की तैयारी चल रही है। क्या बदलाव होगा और क्या नया होगा इसको लेकर अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पाया है।

16 जुलाई 2018 को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी और पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने महाराष्ट्र राज्य के पहले वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का भूमिपूजन किया था। इस प्लांट को 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन भूमिपूजन के 8 माह बाद भी फंड नहीं मिल पाया था। इसका कार्य पहले नागपुर सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग एंड वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड एवं एस्सेल इंफ्रा को भांडेवाड़ी यार्ड के 10 एकड़ क्षेत्र में प्लांट बनाने की जिम्मेदारी दी थी। प्लांट के लिए 218 करोड़ का बजट भी तैयार किया गया था। इसमें नागपुर महानगर पालिका की ओर से गेप फंडिंग के लिए 70 करोड़ देने की बात कही गई थी। लेकिन कंपनी को बैंक से ही फंड नहीं मिल पाया। 

कचरा जबलपुर भेजना था वह भी नहीं किया
जून में मनपा ने एक बार फिर से भांडेवाड़ी का कचरा जबलपुर भेजने की बात कही थी। जबलपुर के प्लांट में इसी कचरे की आवश्यकता होती है। इसके लिए भांडेवाड़ी से कचरे को वहां भेजा जाना था। लेकिन वह भी नहीं किया गया। अधिकारियों का कहना है कि बारिश के कारण कचरा वहां नहीं जापाया। कचरा वहां भेजा जाएगा,  इससे हमारे डंपिंग यार्ड में जगह खाली होगी। यह अस्थाई व्यवस्था है। प्रोजेक्ट भी शुरू किया जाएगा। हालांकि सूत्रों के अनुसार पता चला है कि वेस्ट टू एनर्जी प्लांट प्रोजेक्ट को टर्मिनेट किया जाएगा। साथ ही नई कंपनी को काम देकर प्रोजेक्ट की शुरुआत करेंगे।

इस तरह की योजना थी
शहर से रोजाना 800 मीट्रिक टन सूखा कचरा निकलता है। इस कचरे को 900 डिग्री सेल्सियस पर जलाया जाता है जिससे भाप बनती है और उस भाप से बिजली बनाई जाती है। इससे प्लांट से 11.5 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने की योजना बनाई थी।

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