जलयुक्त शिवार वाले क्षेत्रों में घटा जलस्तर, बढ़ी चिंता
जलयुक्त शिवार वाले क्षेत्रों में घटा जलस्तर, बढ़ी चिंता
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जलयुक्त शिवार योजना के तहत नागपुर जिले के जिन तहसील में सबसे ज्यादा कार्य हुए, वहीं का भू-जलस्तर पिछले तीन साल में लगातार घटा है। तीन साल में कुल 718 गांवों में (काटोल, नरखेड़, कलमेश्वर और हिंगना के लगभग 400 गांव) योजना के तहत कार्य किए गए। सबसे अहम बात यह है कि 5 साल में पूरे प्रदेश में 25000 गांवों में पर्याप्त जल हाेने का दावा किया गया था। इस हिसाब से प्रत्येक एक वर्ष में 5000 गांवों को जल-संपन्न बनाने का लक्ष्य था।
आमतौर पर काटोल नरखेड़ सूखा प्रभावित क्षेत्र माना जाता है, इसलिए सर्वाधिक कार्य वहीं किए गए, ताकि परिस्थिति में बदलाव हो। इस कार्य के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी को पुरस्कार भी मिल चुका है। विशेष यह कि जलयुक्त शिवार से 88 हजार टीसीएस (थॉउजेंट क्यूबिक मीटर) पानी गांवों में जमा होने का रिपोर्ट में दावा किया गया है। बावजूद इसके बड़े पैमाने पर भू-जलस्तर में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। भूजल सर्वेक्षण विकास विभाग ने अपने आंकड़ों में इसका खुलासा किया है। ऐसे में सीएम के इस महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अंतर्गत किए गए कामों को लेकर ही सवाल खड़े हो गए हैं।
तहसील 2016 2017 2018
काटोल- 6.05 5.85 5.45
नरखेड़- 8.28 7.59 7.35
कलमेश्वर- 6.72 7.52 7.2
हिंगना- 6.53 6.37 6.06
इनका कहना है
बारिश कम होने के कारण घटा भूजल स्तर
पिछले तीन वर्षों से लगातार बारिश कम हाे रही है, जिससे भू-जलस्तर घटा है। योजना के तहत जो कार्य किए गए हैं, उससे तीन वर्षों में 88000 टीसीएम सर्फेस वाटर जनरेट हुआ है, जो सिंचाई और पीने योग्य है।
- रविकांत गौतमी, टेक्निकल ऑफिसर, जलयुक्त शिवार योजना
भूजल स्तर बढ़ने में योजना प्रभावी हुई है
भूजल स्तर घटने के बहुत सारे कारण हैं। जलयुक्त शिवार याेजना जल संरक्षण और तत्काल उपयोग में लिए जाने वाले जल के लिए कार्य करता है। इससे किसानों को तुरंत समाधान मिलता है। भूजल स्तर बढ़ने में योजना प्रभावी हुआ है।
- अश्विन मुद्गल, जिलाधिकारी एवं जिलाध्यक्ष, जलयुक्त शिवार योजना समिति