कन्हान नदी पर बनने वाले 6 बांधों से और गहरा सकता है जलसंकट

कन्हान नदी पर बनने वाले 6 बांधों से और गहरा सकता है जलसंकट

Anita Peddulwar
Update: 2019-02-18 05:39 GMT
कन्हान नदी पर बनने वाले 6 बांधों से और गहरा सकता है जलसंकट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कन्हान नदी पर प्रस्तावित 6 बांध यदि बन जाते हैं तो आने वाले दिनों में जलसंकट की स्थिति और गहराने के आसार हैं। वैसे भी अपर्याप्त बारिश और कोची बांध बनने से कन्हान नदी सूख गई है। ऐसे में नागपुर शहर पर जलापूर्ति का संकट निर्माण हो गया है। नागपुर को अब एक और झटका लगने जा रहा है। मध्यप्रदेश सरकार ने छिंदवाड़ा में कन्हान नदी पर छह बांध प्रस्तावित किए हैं। सौंसर, पांढुर्णा, जुन्नारदेव और छिंदवाड़ा सहित आसपास के हिस्से के लिए कन्हान कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट प्रस्तावित किया है। जुन्नारदेव में दो और सौंसर के जामघाट, जोगनीखापा के अलावा निचले हिस्से में दो बांध प्रस्तावित किए हैं। यह पेंच परियोजना से तीन गुना बड़ा प्रोजेक्ट होगा। साढ़े पांच हजार करोड़ रुपए की लागत से यह बांध बनेगा।

संभावना जताई गई कि अगर यह बांध बनते हैं तो आने वाले वर्षों में नागपुर शहर को जलापूर्ति के संकट से और दो-चार होना पड़ सकता है। जिले के किसानों का सिंचाई संकट भी गहरा सकता है। विशेष यह कि नागपुर महानगरपालिका प्रशासन को इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। हालांकि उसने विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल को पत्र लिखकर इसकी जानकारी और इसके असर के बारे में पूछने का निर्णय लिया है।

पहले ही पानी कटौती झेल रहा नागपुर
नागपुर शहर को जलापूर्ति के लिहाज से तोतलाडोह (पेंच) और कन्हान नदी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन दोनों जगह से नागपुर शहर को मिलने वाले पानी में कटौती हो रही है। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा चौराई बांध तैयार करने से पेंच के जरिए तोतलाडोह में आने वाला पानी कम हुआ है। ऐसे में नवेगांव खैरी बांध के जरिए शहर को होने वाली जलापूर्ति पर सीधे असर हुआ है। इस मामले में पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलने का आश्वासन भी दिया था। यह मामला सुलझा भी नहीं कि विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल ने कन्हान नदी पर कोची बांध बनाकर कन्हान नदी से उत्तर, पूर्व और दक्षिण नागपुर को होने वाली जलापूर्ति को बाधित कर दिया है। कोची बांध की वजह से कन्हान नदी में पानी का प्रवाह अचानक कम हो गया है। इस कारण नदी अभी से सूख गई है। कन्हान जलशुद्धिकरण केंद्र से कोची बांध लगभग 45 किमी. दूर है। रोज वहां से जो पानी छोड़ा जाता है, वह पूरी तरह नहीं पहुंच पाता है। तीन-चार गांव बीच में पड़ते हैं। कई ईट की भट्टियां हैं। किसानों की सिंचाई व्यवस्था से होकर यह पानी कन्हान जलशुद्धिकरण तक पहुंचता है। नदी सूखने से अब कन्हान जलशुद्धिकरण केंद्र से पंपिंग करने में भी दिक्कतें आ रही हैं। इस संकट के बीच मध्यप्रदेश सरकार ने एक और नई परेशानी खड़ी कर दी है। कन्हान नदी के उद्गम स्थल यानी छिंदवाड़ा से पानी रोकने की तैयारी शुरू कर दी है। कन्हान कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट प्रस्तावित कर छह बांध बनाने का निर्णय लिया है। यह पेंच प्रकल्प की तुलना में तीन गुना बड़ा होने से इस संकट की व्यापकता समझी जा सकती है। 

मनपा का सर्वे अंतिम चरण में 
जलसंपत्ति नियामक प्राधिकरण ने कन्हान नदी पर नागपुर शहर के लिए 92 एमएमक्यूब पानी का आरक्षण तय किया है। गोदावरी बेसिन से यह पानी कन्हान तक आता है। कन्हान नदी पर मनपा कई वर्षों से बांध बनाने की योजना तैयार कर रही है। अब इसे कहीं गति मिली है। कोलार-कन्हान नदी संगम पर यह बांध बनाया जाएगा। फिलहाल इसका सर्वे अंतिम चरण में है। विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल को इसका डीपीआर बनाने का काम दिया गया है। यह भी अंतिम प्रक्रिया में होने की जानकारी है। जिसके बाद मनपा बांध निर्माणकार्य की दिशा में आगे बढ़ेगी। हालांकि यह प्रक्रिया मनपा को वर्षों पहले करनी थी। जलसंकट की स्थिति निर्माण होने के बाद मनपा की नींद खुली है। 

महाराष्ट्र सरकार को भी झटका 
वर्षों पहले महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सरकार ने कन्हान नदी पर जामघाट परियोजना के निर्माण तैयार करने की योजना पर सहमति जताई थी, लेकिन हिस्सेदारी को लेकर दोनों के बीच मामला लटका रहा। इस कारण जामघाट परियोजना को मूर्तरूप नहीं मिल पाया। अब मध्यप्रदेश सरकार ने अपने हिस्से का पूरा पानी उपयोग करने का निर्णय लिया है। ऐसे में अब महाराष्ट्र की उम्मीदों को भी तगड़ा झटका लगा है। जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार के पास अपना खुद का प्रकल्प बनाने के अलावा कोई पर्याय नहीं बचा है।

जलापूर्ति की स्थिति की जानकारी लेंगे
कन्हान नदी पर और छह बांध बनाना हमारे लिए नई आश्चर्य है। वैसे तो ट्रिब्यूनल ने महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश का पानी आरक्षण तय कर रखा है। लेकिन नए प्रस्ताव से नागपुर शहर की जलापूर्ति पर कितना असर होगा, इसके लिए बारे में विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल को पत्र लिखकर जानकारी मांगेंगे। महामंडल मध्यप्रदेश सरकार से पत्र-व्यवहार कर आधिकारिक जानकारी लेगा। 
- दीपक चिटणिस, जनरल मैनेजर, जलप्रदाय विभाग मनपा 
 

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