राजनीति: पुणे से भाजपा की पूर्व विधायक मेधा कुलकर्णी होंगी राज्यसभा की प्रत्याशी

  • मंत्री चंद्रकांत पाटील के लिए दिए गए 'बलिदान' का मिला फल
  • नारायण राणे का कटा पत्ता
  • विनोद तावड़े और पंकजा मुंडे भी वंचित

Anita Peddulwar
Update: 2024-02-14 13:50 GMT

 डिजिटल डेस्क, पुणे। भाजपा ने आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए अपने तीन उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के 24 घंटे के अंदर ही पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को राज्यसभा सांसदी का इनाम मिल गया है। भाजपा ने बुधवार को मौजूदा केंद्रीय मंत्री नारायण राणे का पत्ता काटकर अशोक चव्हाण के साथ ही पुणे से भाजपा की भूतपूर्व विधायक प्रो मेधा कुलकर्णी और नांदेड़ से पुराने निष्ठवान, कारसेवक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे डॉ अजीत गोपछड़े को राज्यसभा चुनाव का प्रत्याशी घोषित किया है। हालांकि, पार्टी महासचिव विनोद तावड़े और पंकजा मुंडे दोनों आला नेता फिर एक बार वंचित रह गए हैं। बहरहाल भूतपूर्व विधायक प्रो मेधा कुलकर्णी को राज्यसभा में मौका दिए जाने से पुणे के भाजपाइयों में संतोष जताया जा रहा है। कुलकर्णी को राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटॉल के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र का 'बलिदान' देने का फल मिला है।

राज्यसभा चुनाव के लिए आवेदन करने के लिए दो दिन बचे रहने के दौरान पुणे कोथरुड विधानसभा क्षेत्र से पूर्व भाजपा विधायक और महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो. डॉ. मेधा कुलकर्णी ने बकाया राशि के संबंध में पुणे मनपा से तत्काल 'अनापत्ति प्रमाण पत्र' मांगा था। वहीँ से उन्हें राज्यसभा की उम्मीदवारी मिलने की चर्चा शुरू हो गई। आज प्रत्याशी घोषित होने के बाद संवाददाताओं के साथ की गई बातचीत में उन्होंने कहा, मैं बहुत खुश हूं, बहुत संतुष्ट हूं, पार्टी ने फिर एक बार मुझ पर भरोसा जताया है, उसके लिए धन्यवाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह को धन्यवाद। मेधा कुलकर्णी ने कहा कि वह कई वर्षों तक पुणे मनपा में पार्षद रहीं, एक कार्यकाल तक विधायक रहीं और अब राज्यसभा में सांसद के रूप में काम करने से उन्हें एक अलग अनुभव मिलेगा। जब उनसे उनकी नाराजगी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सबको सब पता है, जब कुछ अच्छा हुआ है तो पिछला कुछ और याद रखने की जरूरत नहीं है। पुणे का विकास, पार्टी का विस्तार जैसी चीजें करनी हैं। मैंने कभी किसी से नहीं कहा कि मुझे फलां पोस्ट चाहिए। कई वर्षों से पार्टी में निष्ठापूर्वक काम करते हुए काम करने का मौका मांगा। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि सभी के लिए एक पार्टी द्वारा प्लान बनाकर मौका तय किया जाता है, जो अब मुझे मिल गया है।

कौन हैं मेधा कुलकर्णी? : प्रो डॉ मेधा कुलकर्णी पुणे के कोथरुड विधानसभा क्षेत्र से पूर्व भाजपा विधायक हैं। इससे पहले वह पुणे मनपा में लगातार पार्षद चुनी जाती रही। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के शतप्रतिशत चुनकर आनेवाले विधायकों की सूची में सबसे ऊपर नाम रहने के बावजूद उनका पत्ता कट गया। 2014 के चुनाव में उन्होंने शिवसेना के चंद्रकांत मोकाटे के खिलाफ 64 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काटकर भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल को दे दिया गया। असल में भाजपा की पिछली सरकार में मंत्री और पुणे जिले के पालकमंत्री रहने दौरान पाटिल को विपक्षी दलों द्वारा लगातार जनता में से चुनकर आने की चुनौती दी जाती रही। क्योंकि विधानसभा में चुनकर जाने से पहले वे विधानपरिषद के विधायक थे। इसलिए उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने का निश्चय किया। मगर अपने गढ़ कोल्हापुर की बजाय दूसरी जगह 'सेफ' चुनाव क्षेत्र की खोज के दौरान उनकी नजर प्रो मेधा कुलकर्णी के कोथरुड विधानसभा क्षेत्र पर गड गई। इसलिए कुलकर्णी की बजाय पाटिल को यहाँ से टिकट दिया गया।

राजनीतिक पुनर्वास की ओर गड़ी थी निगाहें : शत प्रतिशत चुनकर आने की गारंटी रहने के बावजूद चंद्रकांत पाटिल के लिए अपने सबसे सुरक्षित चुनाव क्षेत्र का बलिदान देने के बदले में भाजपा ने प्रो मेधा कुलकर्णी को उनके राजनितिक पुनर्वास को लेकर भरोसा दिलाया था। उसके बाद हुए हर विधान परिषद और राज्यसभा चुनाव के दौरान भी उनके नाम की चर्चा होती रही, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया गया। तभी से वह पार्टी से नाराज चल रही थी। सभी का ध्यान इस बात पर था कि मेधा कुलकर्णी का राजनीतिक पुनर्वास कब और कहां होगा? विधान परिषद की उम्मीदवारी से चुकने के बाद मेधा कुलकर्णी यह कहते हुए आंसू बहाती नजर आईं कि चंद्रकांत पाटिल ने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा था कि वह मुझे विधान परिषद भेजेंगे। इसके बाद मेधा कुलकर्णी को भारतीय जनता पार्टी की महिला मोर्चा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। कुलकर्णी के रूप में पहली बार पुणे की किसी महिला को किसी पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने का मौका मिला। अब उन्हें राज्यसभा की उम्मीदवारी देकर उनकी नाराजगी दूर करने के साथ ही उनका राजनितिक पुनर्वास किया गया है।

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