हाथरस गैंगरेप केस: पीड़िता के भाई ने कहा- जमीन पर लेटी रही दीदी, पुलिस ने नहीं मंगाई एंबुलेंस, बोले- ये बहाने बनाकर लेटी हुई है

हाथरस गैंगरेप केस: पीड़िता के भाई ने कहा- जमीन पर लेटी रही दीदी, पुलिस ने नहीं मंगाई एंबुलेंस, बोले- ये बहाने बनाकर लेटी हुई है

Bhaskar Hindi
Update: 2020-09-29 15:44 GMT
हाथरस गैंगरेप केस: पीड़िता के भाई ने कहा- जमीन पर लेटी रही दीदी, पुलिस ने नहीं मंगाई एंबुलेंस, बोले- ये बहाने बनाकर लेटी हुई है
हाईलाइट
  • 'बिना अनुमति के शव को ले जाया गया'
  • परिवार का कहना-हमें पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी नहीं मिली
  • पीड़िता के पिता और भाई अस्पताल में धरने पर बैठे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाथरस गैंगरेप पीड़िता की मौत के बाद पिता और भाई सफदरजंग अस्पताल में धरने पर बैठ गए थे। पुलिस ने उन्हें यहां से हटा दिया है। परिजन सफदरजंग हॉस्पिटल पर भी आरोप लगा रहे हैं। पीड़िता के भाई ने पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता के भाई ने कहा कि पोस्टमॉर्टम हो चुका है, लेकिन शव हमें नहीं सौंपा है। हमें कोई रिपोर्ट भी नहीं दी गई है। पीड़िता के भाई ने राज्य की बीजेपी सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पुलिस ने दीदी के लिए एंबुलेंस भी नहीं मंगाई थी। बहन जमीन पर लेटी हुई थी। पुलिसवालों ने कह दिया था कि इन्हें यहां से ले जाओ। ये बहाने बनाकर लेटी हुई है।

वहीं, भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद ने सफदरजंग हॉस्पिटल के डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सोमवार रात को डॉक्टरों ने वेंटिलेटर का प्लग निकाल दिया था, क्योंकि सरकार चाहती थी कि पीड़िता की मौत हो जाए, क्योंकि वो एक दलित समुदाय की थी। चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि पीड़िता के माता-पिता के साथ यहां पर कोई भी पुलिसवाला नहीं था। बता दें कि चंद्रशेखर आजाद आज पीड़िता के परिजनों से मिलने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल गए थे। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। बता दें कि मंगलवार सुबह ही हाथरस घटना की पीड़िता ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। जिसके बाद से ही इस घटना पर राजनीतिक बवाल हो गया है।

जीभ काट दी, 15 दिन सिर्फ इशारे से बताती रही
बता दें कि दो सप्ताह पहले उतर प्रदेश के हाथरस जिले में गैंगरेप की शिकार दलित लड़की आखिरकार जिंदगी से जंग हार गई। मंगलवार तीन बजे तड़के उसने दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में दम तोड़ दिया। 14 सितंबर को दरिंदों ने गैंगरेप के बाद उसकी जीभ काट दी थी, रीढ़ की हड्डी तोड़ दी थी। वह बाजरे के खेत में बेहोश मिली थी। तबियत बिगड़ने लगी थी तो उसे सोमवार को ही दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था। पीड़िता के भाई ने कहा कि 10 से 15 दिन तक तो दीदी की ब्लीडिंग रुकी तक नहीं थी। 22 सितंबर के बाद उन्हें अच्छा इलाज मिलना शुरू हुआ। उनके साथ लापरवाही बरती गई। उन्हें ठीक से इलाज नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि दीदी 15 दिन तक सिर्फ इशारों में बात करती रही, कुछ कहना चाहती थीं, बोल नहीं पाती थीं।

10 दिन बाद की FIR
पीड़िता के भाई ने कहा कि कहा कि FIR के लिए हमें 8-10 दिन तक इंतजार करना पड़ा था। रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद पुलिस एक आरोपी को पकड़ती थी और दूसरे को छोड़ देती थी। धरना-प्रदर्शन के बाद आगे की कार्रवाई हुई और आरोपियों को घटना के 10-12 दिन बाद पकड़ा गया।  

पुलिस की भूमिका पर उठ रहे हैं सवाल
हाथरस पुलिस ने अब तक इस मामले में संदीप, रामकुमार, लवकुश और रवि नाम के चार अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। चारों ही तथाकथित उच्च जाति के है। हालांकि दलित संगठनों का आरोप है कि पुलिस ने इस मामले में लीपापोती करने की कोशिश की। पहले सिर्फ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया। एक ही व्यक्ति को अभियुक्त बनाया गया। 10 दिन तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया। जब दलित नेता चंद्रशेखर ने ट्वीट किया और अलीगढ़ जाने का ऐलान किया तब अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। गैंगरेप की धारा भी बाद में जोड़ी गई।

पुलिस का कहना
हालांकि पुलिस का कहना है कि परिवार ने जो शिकायत दी थी उसी के आधार पर पहला मुकदमा दर्ज किया गया था और बाद में पीड़िता के बयान के आधार पर गैंगरेप का मुकदमा दर्ज किया गया। पीड़िता को अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। जहां पुलिस 19 सितंबर को उसका बयान लेने के लिए पहुंची थी। यानी घटना के पांच दिन बाद। उस दिन पीड़िता की हालत गंभीर थी और वो अपना बयान दर्ज नहीं करा सकी थी। फिर 21 और 22 सितंबर को सर्किल ऑफिसर और महिला पुलिस कर्मी पीड़िता का बयान लेने पहुंचे थे।

हाथरस में भी लोगों का गुस्सा, परिवार बोला- एडीजी झूठ बोल रहे हैं
पीड़िता की मौत के बाद गुस्साए लोगों ने हाथरस के चंदपा थाने के पास सड़क जाम कर दिया है. उन्हें समझाने के लिए पुलिस और प्रशासन के अधिकारी पहुंच गए हैं। पीड़िता के परिवार ने एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। परिवार का कहना है कि एडीजी झूठ बोल रहे हैं। पीड़िता ने 22 सितंबर को अपना पहला बयान दिया था और गैंगरेप की बात कही थी। इससे पहले किसी को नहीं पता था कि उनके साथ गैंगरेप किया गया था, क्योंकि वो बेहोश थीं।

एडीजी ने क्या कहा था
एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने एक न्यूज चैनल पर कहा था कि यह घटना 14 सितंबर को सुबह 9.30 हुई। उसके बाद लड़की अपने भाई के साथ थाने पर पहुंची और गला दबाकर हत्या करने की कोशिश का मामला दर्ज कराया गया। इसके बाद लड़की को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। मामला SC/ST एक्ट का था, इसलिए क्षेत्राधिकारी स्तर के अधिकारी को जांच दी गई।

कब बंद होगा ये सब? दोषियों को फांसी दो: अक्षय कुमार
गैंगरेप की घटना पर अक्षय कुमार ने ट्वीट करते हुए कहा कि हाथरस में बहुत ही दर्दनाक गैंगरेप के मामले से गुस्से में और फ्रस्ट्रेटेड हूं। ये सब कब रुकेगा? कानून और एजेंसियों को सख्त होना चाहिए और ऐसी सजा देनी चाहिए ताकि रेपिस्ट ऐसा दोबारा करने से डरें। दोषियों को फांसी दो। अपनी बहन-बेटियों को बचाने के लिए आवाज उठाएं, कम से कम इतना तो हम कर ही सकते हैं।

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