गंगा आरती, इसी घाट पर नीला हुआ था शिव का कंठ

गंगा आरती, इसी घाट पर नीला हुआ था शिव का कंठ

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-22 04:58 GMT
गंगा आरती, इसी घाट पर नीला हुआ था शिव का कंठ

डिजिटल डेस्क, ऋषिकेश। त्रिवेणी घाट पर गंगा आरती का दृश्य किसी को भी लुभा सकता है। शाम को होने वाली आरती का ये दृश्य इतना मनमोहक होता है कि देशी ही नहीं विदेशी भक्त भी खासतौर पर यहां आरती में शामिल होने के लिए पहुंचते हैं। गंगा आरती की परंपरा भी पुरातन बताई जाती है। 

नदी पर निर्मित शिव मूर्ति के समीप गंगा के किनारे आरती होती है। इसके लिए करीब शाम 5.00 बजे से ही तैयारी शुरू हो जाती है। गायन, भजन और बेहद आलौकिक मंत्रोच्चार के बीच गंगा की आरती पूरे विधि-विधान से की जाती है। इस आरती में शामिल होने के लिए अक्सर ही यहां सेलिब्रिटीज भी पहुंचती हैं। 

पुराणों में महत्व

विद्वानों ने गंगा आरती का अति महत्व बताया है। कहते हैं कि मां गंगा का पूजन करने से जीवन के अनेक कष्टों से मुक्ति मिलती है। मां गंगा अपने भक्तों को सुखद जीवन का वरदान देती हैं। 

शिव ने पीया विष

ऋषिकेश से सम्बंधित अनेक धार्मिक कथाएं भी प्रचलित हैं। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकला विष शिव ने इसी स्थान पर पीया था। विष पीने के बाद उनका कंठ नीला पड़ गया और उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना गया। एक अन्य अनुश्रुति के अनुसार भगवान राम ने वनवास के दौरान इसी स्थान के जंगलों में अपना समय व्यतीत किया था। लक्ष्मण झूला इसी का प्रमाण माना जात है। 

ऐसे पड़ा नाम

यह भी कहा जाता है कि ऋषि राभ्या ने यहां ईश्वर के दर्शन के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ऋषिकेश के अवतार में प्रकट हुए। तब से इस स्थान को ऋषिकेश नाम से जाना जाता है।

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