अगहन अमावस आज, व्रत पूजन का है विशेष महत्व
अगहन अमावस आज, व्रत पूजन का है विशेष महत्व
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मार्गशीर्ष (अगहन) मास की अमावस्या तिथि प्रत्येक धर्म कार्य के लिए अक्षय फल प्राप्त करने वाली बताई गई है। मार्गशीर्ष यानि अगहन का महीना श्रद्धा एवं भक्ति से पूर्ण होता है। अगहन अमावस इस बार 7 दिसंबर 2018 यानी आज शुक्रवार को है।अगहन माह में श्रीकृष्ण भक्ति का विशेष महत्व होता है और पितरों की पूजा भी की जाती है। इस अमावस्या के दिन पितृ पूजा की जाती है जिसके द्वारा पितरों को शांति प्राप्त होती है और कुण्डली में बने पितृ दोष का निवारण भी किया जाता है।
व्रत पूजन
मार्गशीर्ष (अगहन) अमावस्या तिथि प्रत्येक धर्म कार्य के लिए अक्षय फल प्राप्त करने वाली बताई गई है। किन्तु पितृ पक्ष शान्ति के लिए इस अमावस्या पर व्रत पूजन का विशेष महत्व होता है। जो लोग अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति, सदगति के लिए कुछ भी करना चाहते हैं तो उन्हें इस अगहन माह की अमावस्या को उपवास रख, पूजा शांति कर्म करना चाहिए।
पितृदेव को प्रसन्न करना
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार देवी, देवताओं से भी प्रथम पितृदेव को प्रसन्न करना बताया गया है। जिस किसी भी जातक की कुण्डली में पितृ दोष हो, संतान हीन योग बन रहा हो या फिर नवम भाव में राहू नीच के होकर स्थित हो, उन जातक को इस दिन उपवास अवश्य रखना चाहिए। इस दिन के उपवास को करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। विष्णु पुराण के अनुसार जो भी जातक श्रद्धा भाव से अगहन अमावस्या का व्रत रखता है उसके पितृगण ही तृप्त नहीं होते, अपितु ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षी और समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न हो कर आशीर्वाद देते हैं।
नदियों में स्नान
श्रीमद भागवतगीता में स्वयं श्रीकृष्ण ने अपने श्री मुख से कहा है कि महीनों में "मैं मार्गशीर्ष माह हूँ" तथा सत युग में देवों ने मार्ग-शीर्ष यानि अगहन मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष का प्रारम्भ किया था। मार्गशीर्ष (अगहन) अमावस को पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व बताया गया है| स्नान के समय ॐ नमो नारायणाय या गायत्री मंत्र का उच्चारण करना शुभ फलदायी होता है। मार्गशीर्ष (अगहन) मास में पूरे महीने प्रात:काल समय में भजन मण्डलियां, भजन, कीर्तन करती हुई निकलती हैं।
अमावस महत्व
जिस प्रकार कार्तिक,माघ, वैशाख आदि माह में गंगा स्नान के लिए अति शुभ एवं उत्तम होते हैं। उसी प्रकार मार्गशीर्ष (अगहन) माह में भी गंगा स्नान का विशेष फल प्राप्त होता है। मार्गशीर्ष माह की अमावस का आध्यात्मिक महत्व बहुत होता है। मार्गशीर्ष माह में अमावस तिथि के दिन स्नान दान और तर्पण का विशेष महत्व रहता है। अमावस तिथि के दिन व्रत करते हुए श्रीसत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा की जाती है जो की अमोघ फलदायी होती है। इस दिन नदी, सरोवर या समन्दर में स्नान करने तथा यथायोग्य सामर्थ्य के अनुसार दान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं तथा पुण्य कि प्राप्ति होती है।
अगहन माह के बारे में
सभी महीनों में मार्गशीर्ष श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। मार्गशीर्ष (अगहन) माह के बारे में यह कहा गया है कि इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से होता है। ज्योतिष पंचांग के अनुसार अगहन माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है जिस कारण से इस मास को मार्गशीर्ष मास कहा जाता है।
माह की महत्ता
इसके अतिरिक्त इस माह को मगसर, अगहन या अग्रहायण माह भी कहा जाता है। मार्गशीर्ष के महीने में स्नान एवं दान का विशेष महत्व होता है। श्रीकृष्ण ने गोपियों को मार्गशीर्ष माह की महत्ता सुनाई थी तथा उन्होंने कहा था कि मार्गशीर्ष माह में यमुना स्नान से मैं सहज ही प्राप्त हो जाता हूं। अत: इस माह में नदी स्नान का विशेष महत्व माना जाता है।