ये अद्भुत नदी स्वयं करती है अभिषेक, बीचों बीच बने हजारों शिवलिंग
ये अद्भुत नदी स्वयं करती है अभिषेक, बीचों बीच बने हजारों शिवलिंग
डिजिटल डेस्क, सिरसी। इस नदी में हजारों शिवलिंग बने हैं। ये लोगों के लिए आश्चर्य का विषय है। कहा जाता है कि नर्मदा से निकला हर पत्थर स्वयंसिद्ध होता है और उसे शिवलिंग का ही महत्व प्राप्त होता है। यही वजह है कि दुनियाभर से लोग नर्मदा से शिवलिंग लेने आते हैं, लेकिन आज जिस नदी की बात हम कर रहे हैं उसमें हजारों शिवलिंग जगह-जगह देखने मिल जाएंगे। ये अपने आप में ही अद्भुत हैं। नदी के बीचों बीच इतने शिवलिंग अनेक बरसों से स्थापित हैं।
सहस्रलिंग, शिव के प्रियजन भी माैजूद
ये अनाेखी अाैर दुनियाभर में प्रसिद्ध नदी कनार्टक के सिलसी शहर में है और इसे शलमाला नदी के नाम से जाना जाता है। यही नहीं यहां सर्प, नदी सहित उन चीजों की भी आकृतियां देखने मिल जाएंगी, जो भोलेनाथ को प्रिय हैं। हजारों शिवलिंग एक ही स्थान पर होने की वजह से इस सहस्रलिंग के नाम से भी जाना जाता है।
बहुत बड़े शिवभक्त थे राजा सदाशिवाराय
इस अनोखी और बेहद अद्भुत नदी के बारे में बताया जाता है कि राजा सदाशिवाराय ने इस अद्भुत स्थान का निर्माण करवाया था। वे बहुत बड़े शिवभक्त थे और हर वक्त ही उनकी तपस्या में लीन रहना चाहते थे। एक बार उनके मन में विचार आया कि सदा ही उनमें कैसे समाया जा सकता है तो उन्होंने शलमाला नदीके बीच में भगवान शंकर और उनके प्रियजनों की हजारों आकृतियां पत्थर से निर्मित करवा दी। यह किस्सा 16वीं सदी का बताया जाता है।
विदेशी पर्यटकों की भी कमी नही
शिवलिंग नदी के बीचों बीच स्थित हैं तो किसी को भी शिव का अभिषेक करने की आवश्यकता नही होती। यह नदी स्वयं उनका अभिषेक प्रतिदिन करती है। शिवरात्रि सहित सावन माह में यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। यह स्थान अद्भुत है तो विदेशी पर्यटकों की भी कमी नही रहती। यह स्थान धार्मिक ही नहीं एेतिहासिक दृष्टि से भी अति महत्वपूर्ण है।