आरती के बाद चारों ओर घूमने लगता है शिवलिंग, अपने आप बजती हैं घंटियां
आरती के बाद चारों ओर घूमने लगता है शिवलिंग, अपने आप बजती हैं घंटियां
डिजिटल डेस्क, श्योपुर। प्राचीनकाल में भी अच्छे खासे इंजीनियर्स हुआ करते थे। इसका नजारा हमें जब-तब कहीं न कहीं किले, मंदिरों में देखने मिल जाता है। श्योपुर के मंदिर में स्थापित शिवलिंग भी किसी चमत्कार से कम नही है। ज्यादातर शिव मंदिरों में शिवलिंग की जलहरी का मुख उत्तर या दक्षिण दिशा की तरफ होता है परंतु मध्य प्रदेश के श्योपुर में गोविंदेश्वर महादेव शिवालय में संसार का सबसे अनूठा शिवलिंग स्थापित है। यह शिवलिंग चारों दिशाओं में घूमता है। इसका निर्माण लाल पत्थर से किया गया है। इसके दो भाग हैं, एक पिंडी और दूसरा जलहरी। यह शिवलिंग धुरी पर स्थापित है, जो चारों दिशाओं में घूमता है।
इस शिवलिंग का निर्माण ऐसे किया गया है कि यह अपनी धुरी पर चारों दिशाओं में घूमता है। भक्त इच्छानुसार शिवलिंग की जलहरी को दिशा देते हैं और भगवान शिव को खुश करते हैं। श्योपुर के छार बाग मोहल्ले में अष्टफलक की छतरी में यह अद्भूत शिवलिंग स्थित है। इसका निर्माण श्योपुर के गौड़ वंश के राजा पुरूषोत्तम दास ने 294 वर्ष पूर्व अर्थात सन् 1722 में कराया था। गौड़ राजा भोलेनाथ के भक्त थे इसलिए उन्होंने शिवनगरी के रूप में श्योपुर नगर को बसाया। मंदिर में लगे शिलापट्ट पर इसका निर्माण समय गड़ा हुआ है। यह शिव मंदिर गोविंदेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध है।
कहा जाता है कि साल में एक बार रात के समय मंदिर की घंटिया अपने आप बजने लगती हैं। आरती के पश्चात शिवलिंग घूमने लगता हैं। कहते हैं कि इस शिवलिंग का मुख हमेशा दक्षिण की ओर होता है परंतु ये अपने आप उत्तर या पूर्वमुखी हो जाता है। पौराणिक कथाओं अनुसार दक्षिणमुखी शिवलिंग का अभिषेक करने से सारे कष्टों और सर्पदोष, पितृदोष, गृहक्लेश से छुटकारा मिलता है। यह शिवलिंग 24 खंभों के छत्री की दूसरी मंजिल पर स्थित है। पहली मंजिल पर भगवान गणेश की अद्भुत प्रतिमा विराजमान है।