जानिए कैसे मनाते हैं भाई दूज, होली के बाद क्यों होती है ये पूजा...

जानिए कैसे मनाते हैं भाई दूज, होली के बाद क्यों होती है ये पूजा...

Bhaskar Hindi
Update: 2018-02-27 04:37 GMT
जानिए कैसे मनाते हैं भाई दूज, होली के बाद क्यों होती है ये पूजा...


डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रंगोत्सव के दूसरे दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जा रहा है । इसी दिन चित्रगुप्त पूजा भी की जाती। भाई दूज के त्योहार को लेकर भारत देश में विशेष स्थान दिया गया है। इस दिन भाई की कुशलता एवं लंबी उम्र की कामना से पूजन किया जाता है। इसे लेकर पौराणिक कथा कही जाती है कि स्वयं यम की बहन यमुना ने अपने भाई से वर मांगा था कि जो भी भाई इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके अपनी बहन के यहां भोजन करे उसे मृत्यु का भय ना रहे। ऐसा भी कहा जाता है कि यही वह दिन है जब यम ने अपनी बहन यमुना का सत्कार स्वीकार कर उसके घर भोजन किया था। 

 

अनेक स्थानाें पर अलग अलग नाम

अनेक स्थानों पर इसे भाऊ दूज, भाई टीका, टीका और भाई फोटा के नाम से भी जाना जाता है। साल में दो बार भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। जिनमें से एक दिवाली के बाद और दूसरा होली के बाद मनाया जाता है। 

 

इस विधि से हाेती है पूजा

इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर विष्णु एवं भगवान गणेश की पूजा का भी महत्व है। इस दिन गोबर के दूज बनाए जाते हैं। जिनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है। इसी गोबर से शत्रु भी बनाया जाता है जिसे मूसला से पीटा जाता है और रंग से नहलाया जाता है। दूज से भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की जाती है। जबकि शत्रु को पीटकर भाई के शत्रुओं का नाश होने की प्रार्थना करते हैं। ये परंपरा मुख्य रूप से बुंदेलखंड में है। अन्य स्थानों पर भाई को चैकी पर बैठाकर पूजा कर तिलक लगाने की परंपरा है। 

 

गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को। 
सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें। 

 

यह पूजन के दौरान ही कहा जाता है। जिससे भाईयों को प्रत्येक कार्य में सफलता मिल सके।

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