नवरात्रि के सातवें दिन करें मां कालरात्रि की उपासना, दूर होगी बुरी शक्ति

नवरात्रि के सातवें दिन करें मां कालरात्रि की उपासना, दूर होगी बुरी शक्ति

Manmohan Prajapati
Update: 2019-04-09 05:18 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र नवरात्रि का सातवा दिन मां कालरात्रि का होता है। आज के दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से सभी पाप कर्मों का क्षय होता है और ज्ञात-अज्ञात शत्रुओं का नाश होता है। ऐसा कहा जाता है कि इनका स्मरण मात्र से ही बुरी शक्तियां दूर चली जाती हैं। साथ ही कुंडली की ग्रह बाधाएं भी दूर होती है।

मां दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है। दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है। इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है और तेज बढ़ता है। प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। मां जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में सातवें दिन इसका जाप करना चाहिए।

इस दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से सभी राक्षस, भूत पिसाच और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के द्वार खुलने लगते हैं और अनेक आसुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं। दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत उनके स्मरण से ही भाग जाते हैं। देवी कालरात्रि को व्यापक रूप से माता काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है।

मां का वर्णन
माता कालरात्रि के शरीर का रंग घनघोर काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में बिजली सी चमकने वाली माला है। ये त्रिनेत्रों वाली हैं। ये तीनों ही नेत्र ब्रह्मांड के समान गोल हैं। इनकी सांसों से अग्नि निकलती रहती है। ये गर्दभ(गधे) की सवारी करती हैं। ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा भक्तों को वर देती है। दाहिनी ही तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है यानी भक्तों हमेशा निडर, निर्भय रहो।

बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है। इनका रूप भले ही कितना भी भयंकर हो लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली देवी हैं। इसीलिए ये शुभंकरी कहलाईं अर्थात् इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत होने की बिलकुल भी आवश्यकता नहीं। इसी कारण इनका एक नाम "शुभंकारी" भी है। उनके दर्शनमात्र से भक्त पुण्य का भागी बनता है।

मां की महिमा
मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम "शुभंकारी" भी है। अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है।

मां कालरात्रि देवी की आराधना का मंत्र है :-
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

दूसरा मंत्र :-
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

भावार्थ :-
हे मां! सर्वत्र विराजमान और कालरात्रि के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।
या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे मां, मुझे पाप से मुक्ति प्रदान कर।

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