गाय के इस अंग में है शिव और भगवान विष्णु का वास...

गाय के इस अंग में है शिव और भगवान विष्णु का वास...

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-03 03:44 GMT
गाय के इस अंग में है शिव और भगवान विष्णु का वास...

 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गाय को हिंदु धर्म पूज्यनीय माना गया है। विभिन्न व्रत-त्योहारों पर गाय के दूध, गोबर इत्यादि का ही पूजन में उपयोग किया जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में शुद्धता आती है और परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है। गाय में देवी-देवताओं का भी वास होता है। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि गाय के शरीर में कहां किस देवता का वास माना गया है...


-पद्म पुराण में इसका उल्लेख मिलता है कि गाय के मुख में चारों वेदों का वास है। 
-विष्णुदेव और भगवान शंकर सदा ही उसके सींग में विराजमान बताए गए हैं। 
-गाय के उदर में भगवान शिव पुत्र कार्तिकेय का वास है। 
-मस्तक में सृष्टि रचेता ब्रम्हदेव जबकि ललाट में स्वयं रुद्र विराजे हैं। 
-धेनु अर्थात गाय के सींगों के अग्र भाग में इंद्र हैं। वहीं दोनों कानों में अश्विनीकुमार। 
-जीभ में स्वयं मा सरस्वती, दंत में गरुण, नेत्रों में सूर्यदेव, रोमकूपों में ऋषिगणों का वास है।
-दक्षिण पाश्र्व कुबेर व वाम पाश्र्व में यक्ष, मुंख के अंदर गंधर्वों का वास है। खुरों के पिछले भाग में अप्तसराओं का निवास माना गया है। 

 

पुराणों में उल्लेख

पद्म पुराण सहित स्कंद पुराण, भविष्य पुराण में इसका उल्लेख मिलता है। इस वजह से गाय को पूज्यनीय माना गया है। महाभारत में ऐसा बताया गया है कि जिस स्थान पर गायें चरती हैं और समूह में बैठती हैं। वहां शुद्धता स्वयं ही वास करने लगती हैं। गाैमूत्र काे अति पवित्र कहा गया है। गाय को हरी घास या चारा खिलाने का भी पुण्य है, जिसकी वजह से अनेक दोषों से मुक्ति के लिए गाय को चारा खिलाने का उपाय बताया जाता है। तीर्थ दर्शन के बाद गाय को भोजन कराना भी पुण्यकारी माना गया है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से दुर्भाग्य द्वार पर आकर भी अंदर प्रवेश नही कर पाता। गाय सदैव उसी स्थान पर निवास करती है जहां सकारात्मकता विद्यमान होती है।

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