खरमास में भूलकर भी न करें ये काम, शुभ कार्य होते हैं वर्जित
खरमास में भूलकर भी न करें ये काम, शुभ कार्य होते हैं वर्जित
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खर मास की शुरुआत हो जाती है। खर मास की शुरुआत होते ही शुभ कार्य करना वर्जित हो जाता है। ये स्थिति तब तक बनी रहती है जब सूर्य पुनः मकर राशि में प्रवेश कर लेता है, जिसमें एक माह का समय लगता है। इस माह में बीमारियां और रोग बढ़ते हैं। माना जाता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत ऊर्जा के साथ की जाती है, और इस माह में ऊर्जा के देवता प्रभावहीन हो जाते हैं, इसलिए इस माह में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
खरमास में ये सारे कार्य हैं वर्जित
इस पूरे मास के खत्म होने तक विवाह, सगाई, ग्रह-प्रवेश आदि धार्मिक शुभकार्य या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिये। नई वस्तु, घर, कार आदि की खरीददारी भी नहीं करनी चाहिये। घर का निर्माण कार्य या फिर निर्माण संबंधी सामग्री भी इस समय नहीं खरीदनी चाहिये। किसी प्रकार का कोई नया व्यवसाय भी इस माह में शुरू नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस समय में शुरू किया गया व्यवसाय आर्थिक हानि पहुंचाता है।
खरमास में ये कार्य करने में हानि नहीं
इस मास में अगर प्रेम विवाह या स्वयंवर करना चाहें तो कर सकते हैं। अगर कुंडली में बृहस्पति धनु राशी में हो तो इस अवधि में भी शुभ कार्य किये जा सकते हैं। साथ ही जो कार्य नियमित रूप से हो रहे हैं उनको करने में भी खरमास में कोई परेशानी नहीं आती। गया में श्राद्ध भी इस अवधि में किया जा सकता है।
खरमास में करें भगवान विष्णु की पूजा
खरमास में भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ धार्मिक स्थलों पर स्नान-दान आदि करने का भी महत्व होता है। इस मास में आने वाली सभी एकादशियों का उपवास कर भगवान विष्णु की पूजा कर उन्हें तुलसी के पत्तों के साथ खीर का भोग लगाया जाता है। इस मास में प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके भगवान विष्णु का केसर युक्त दूध से अभिषेक करें। पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास माना जाता है इस मास में पीपल की पूजा करना भी शुभ रहता है। कार्यक्षेत्र में उन्नति के लिये खरमास की नवमी तिथि को कन्याओं को भोजन करवाना पुण्य फलदायी माना जाता है।
इन दिनों विवाह क्यों है वर्जित ?
किसी भी विवाह का उद्देश्य सुख और समृद्धि की प्राप्ति होता है। खर मास के समय सूर्य धनु राशि में चला जाता है, जिसको सुख समृद्धि के लिए अच्छा नहीं माना जाता। इस समय अगर विवाह किया जाए तो न तो भावनात्मक सुख मिलता है और न ही शारीरिक सुख। साथ ही हर तरह से भाग्य कमजोर होने की स्थिति बनी रहती है। विवाह के साथ ही अन्य मांगलिक कार्य भी इस समयावधि में नहीं किये जाते।
खरमास को लेकर प्रचलित कहानी
इस माह का नाम खरमास क्यों पड़ा इसके पीछे एक कहानी प्रचलित है। सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ से भ्रमण कर रहे थे। घूमते घूमते अचानक वो घोड़े को तालाब के किनारे ले जाकर उन्हें पानी पिलाने लगे। पानी पीने के बाद घोड़ों को आलस आ गया और तभी सूर्यदेव को याद आया कि सृष्टि के नियमानुसार उन्हें निरंतर ऊर्जावान होकर चलते रहने का आदेश है, घोड़ों के थक जाने के बाद सूर्यदेव को तालाब के किनारे दो गधे दिखाई दिए। सूर्यदेव ने उन गधों को अपने रथ में जोता और वहां से चल दिए। इस तरह सूर्यदेव इस पूरे माह धीमी गति से चलते रहे, इस समय उनका तेज भी कम हो गया। इसीलिए इस मास को खर मास कहा जाता है।