करवाचौथ पर क्या है सरगी का महत्व ? जानिए किस दिशा में बैठ कर ग्रहण करें सरगी 

करवाचौथ करवाचौथ पर क्या है सरगी का महत्व ? जानिए किस दिशा में बैठ कर ग्रहण करें सरगी 

Bhaskar Hindi Desk
Update: 2021-10-18 11:25 GMT
करवाचौथ पर क्या है सरगी का महत्व ? जानिए किस दिशा में बैठ कर ग्रहण करें सरगी 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।   करवाचौथ हिंदू धर्म का लोकप्रिय पर्व माना जाता है। इस दिन सरगी खाने की विशेष परंपरा सालों से चली आ रही है। मान्यता अनुसार विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का निर्जला व्रत रखती हैं। जिसकी शुरुवात में वे केवल सरगी खाती हैं। कहा जाता है कि इस उपवास की शुरुवात ब्रह्म मुहूर्त में सरगी खाकर होती है। सरगी खाकर व्रत कर रही महिलाएं पूरे दिन ऊर्जावान महसूस करती हैं। 

क्या है सरगी ?
सरगी एक विशेष भोजन की थाली है जो व्रत कर रही महिलाओं को सूर्योदय से पहले खाना होती है। सरगी की थाली महिलाओं को अपनी सास से आशिर्वाद के रुप में मिलती है। सास के ना होने पर घर की बुजुर्ग महिला भी ये रस्म निभा सकती है। सरगी खाने की परंपरा सालों से हिंदू धर्म में प्रचलित है। इस शुभ दिन पर हर सास अपनी बहू को सरगी भेट कर आशिर्वाद देती है। यह परंपरा इस दिन की सबसे खास है। माना जाता है कि सरगी को सूर्योदय से पहले खा लेना चाहिए। सरगी खाकर महिलाएं पूरा दिन ऊर्जावान रहती हैं। सरगी खाते वक्त दिशा का ध्यान रखना भी आवश्यक होता है। सरगी को दक्षिण दिशा में मुंह करके ग्रहण करना अधिक शुभ तथा अधिक फलदायी माना जाता है। 

क्या शामिल होता है सरगी में ? 
सरगी में आमतौर पर स्वादिष्ट भोजन होता है जिसमे कई सारे पकवान होते हैं। सेवई, खीर, मिठाइयां, मठरी, फिरनी, सूखे मेवे, नारियल, पूरी या परांठे, कढ़ी एक ग्लास जूस या नारियल का पानी शामिल होता है। कई सारे फल भी महिलाओं को एनर्जी देने का काम करते हैं। सरगी में हरी सब्जी और सलाद भी शामिल करें। इससे पूरे दिन थकान ना महसूस होकर एनर्जी मिलती रहेगी। सरगी की परंपरा का करवाचौथ के दिन विशेष महत्व होता है। सरगी विवाहित महिलाओं के लिए बेहद खास आशिर्वाद होता है।        

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