आज है पिशाचमोचन श्राद्ध,जानें विधान और महत्व

आज है पिशाचमोचन श्राद्ध,जानें विधान और महत्व

Manmohan Prajapati
Update: 2018-12-17 09:30 GMT
आज है पिशाचमोचन श्राद्ध,जानें विधान और महत्व

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिशाचमोचनी श्राद्ध, इस दिन पिशाच (प्रेत) योनि में गए हुए पूर्वजों के निमित्त तर्पण आदि करने का विधान बताया गया है। जो इस वर्ष 21 दिसंबर 2018 को है। अगहन मास की पिशाचमोचनी श्राद्ध तिथि पर अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए पित्रों का श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन शांति के उपाय करने से प्रेत योनि व जिन्हें भूत-प्रेत से भय व्याप्त हो उन्हें पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। 

इस दोष की शांति के लिए शास्त्रों में पिशाचमोचन श्राद्ध को महत्वपूर्ण माना है। मार्गशीर्ष (अगहन) माह में आने वाली पिशाचमोचनी श्राद्ध बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। श्राद्ध के अनेक विधि-विधान बताए गए हैं जिनके द्वारा इनकी शांति व मुक्त्ति होती है, आइए जानते हैं इनके बारे में...

पिशाचमोचनी श्राद्ध विधान 
इस दिन व्रत, स्नान, दान, जप, होम और पितृरों के लिए भोजन, वस्त्र आदि देना उत्तम रहता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन प्रात:काल में स्नान कर संकल्प करें और उपवास करें। इस दिन किसी पात्र में जल भर कर कुशा के साथ दक्षिण दिशा की ओर अपना मुख करके बैठ जाएं तथा अपने सभी पितृरों को जल दें, अपने घर परिवार, स्वास्थ आदि की शुभता की प्रार्थना करें। तिलक, आचमन के बाद पीतल या तांबे के बर्तन में पानी लेकर उसमें दूध, दही, घी, शहद, कुमकुम, अक्षत, तिल, कुश रखें।

संकल्प
हाथ में शुद्ध जल लेकर संकल्प में उक्त व्यक्ति का नाम लें जिसके लिए पिशाचमोचन श्राद्ध किया जा रहा होता है। फिर नाम लेते हुए जल को भूमि में छोड़ दें इस प्रकार आगे की विधि संपूर्ण की जाती है। तर्पण करने के के बाद शुद्ध जल लेकर सर्व प्रेतात्माओं की सदगति के लिए यह तर्पणकार्य भगवान को अर्पण करते हैं व पितृरों की शांति की कामना करते हैं। पीपल के वृक्ष पर भी जलार्पण करें तथा भगवत कथा का श्रवण करते हुए शांति की प्रार्थना करें।

पिशाचमोचनी श्राद्ध महत्व 
पिशाचमोचनी श्राद्ध कर्म द्वारा व्यक्ति अपने पित्ररों को शांति प्रदान करता है तथा उन्हें प्रेत योनि से मुक्ति प्रदान करता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि व्यक्ति अपने पित्ररों की मुक्ति एवं शांति के लिए यदि श्राद्ध कर्म एवं तर्पण न करे तो उसे पितृदोष को भुगतना पड़ता है और उसके जीवन में अनेक प्रकार के कष्ट उत्पन्न होने लगते हैं। जो अकाल मृत्यु व किसी दुर्घटना में मारे जाते हैं उनके लिए यह श्राद्ध कर्म महत्वपूर्ण माना जाता है। इस प्रकार इस दिन श्राद्धादि कर्म संपन्न करते हुए जीव को मुक्ति प्रदान करता है। यह दिन पितृों को अभीष्ट सिद्धि देने वाला होता है। इसलिए इस दिन में किया गया श्राद्ध कर्म अक्षय होता है और पित्रर इससे संतुष्ट होते हैं। इस तिथि को श्राद्ध कर्म करने से पितृ प्रसन्न होते हैं सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा पितृरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन तीर्थ, स्नान, जप, तप और व्रत के पुण्य से ऋण(कर्जों) और पापों से छुटकारा मिलता है। इसलिए यह संयम, साधना और तप के लिए श्रेष्ठ दिन माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है जिससे तन, मन,धन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

Similar News