परशुराम जयंती: भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं भगवान परशुराम

परशुराम जयंती: भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं भगवान परशुराम

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-06 07:31 GMT
परशुराम जयंती: भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं भगवान परशुराम

डिजिटल डेस्क। भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम की जयंती अक्षय तृतीया पर मनाई जाती है, जो कि आज मंगलवार को है। मान्यता है कि कलयुग में भी ऐसे 8 चिरंजीव देवता और महापुरुष हैं जो जीवित हैं। इन्हीं 8 महापुरषों में एक परशुराम हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव के परमभक्त परशुराम न्याय के देवता हैं, जिन्होंने 21 बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन किया था। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि हैहय वंश के राजा सहस्त्रार्जुन अपने बल और घमंड की वजह से ब्राह्राणों और ऋषियों पर अत्याचार करते जा रहा था। मत्स्य पुराण के अनुसार इस दिन जो कुछ दान किया जाता है वह अक्षय रहता है, वह कभी भी क्षय नहीं होता है।

इन पुराणों में उल्लेख
परशुरामजी का उल्लेख रामायण, महाभारत, भागवत पुराण और कल्कि पुराण इत्यादि अनेक ग्रन्थों में किया गया है। पुराणों के अनुसार भगवान राम के शौर्य, पराक्रम और धर्मनिष्ठा को देख कर भगवान परशुराम हिमालय चले गए थे। उन्होंने बुद्धिजीवियों और धर्मपुरुषों की रक्षा के लिए उठाया परशु त्याग दिया था। 

जब आया श्री गणेश पर क्रोध
कहा जाता है कि भगवान परशुराम ने क्रोध में भगवान गणेश को भी नहीं बख्शा था। पुराणों के अनुसार एक बार परशुराम भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे, लेकिन भगवान गणेश ने उन्हें मिलने से इनकार कर दिया। इस बात पर परशुराम को क्रोध आ गया और उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था। इस वजह से भगवान गणेश एकदंत भी कहा जाता है।

संस्कृति का प्रचार-प्रसार
भगवान परशुराम धरती पर वैदिक संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना चाहते थे। भारत के अधिकांश ग्राम उन्हीं के द्वारा बसाये गए। जिसमें कोंकण, गोवा एवं केरल का समावेश है। पौराणिक कथाओं के अनुसार उन्होंने तीर चला कर गुजरात से लेकर केरला तक समुद्र को पीछे धकेल देते हुए नई भूमि का निर्माण किया। इसी वजह से इन जगहों पर परशुमराम की पूजा की जाती है।

परशुराम नाम का मतलब
परशुराम का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है। परशु का मतलब है कुल्हाड़ी और राम, अर्थात कुल्हाड़ी के साथ राम। जैसे राम भगवान विष्णु के अवतार है, वैसे ही परशुराम भी भगवान विष्णु के अवतार हैं और उन्हीं की तरह ही शक्तिशाली भी हैं। परशुराम को अनेक नामों जैसे रामभद्र, भृगुपति, भृगुवंशी आदि से जाना जाता है। परशुराम महर्षि जमदग्नि और उनकी पत्नी रेणुका के पांचवे पुत्र थे। 

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