शक्तिपीठ: दिन में गुजरात, शाम को उज्जैन जाती हैं मां ''शक्ति''

शक्तिपीठ: दिन में गुजरात, शाम को उज्जैन जाती हैं मां ''शक्ति''

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-19 04:42 GMT
शक्तिपीठ: दिन में गुजरात, शाम को उज्जैन जाती हैं मां ''शक्ति''

डिजिटल डेस्क, उज्जैन। शक्ति स्वरूपा मां सती को 51 शक्तिपीठों में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग रूपों में देखने मिलता है। प्रत्येक रूप के साथ एक अनोखी कथा जुड़ी है, जो पौराणिक होने के साथ ही मां शक्ति की आलौकिक शक्ति का भी प्रतीक है। ऐसे ही शक्तिपीठों में से एक है मां हरसिद्धि मंदिर, जो कि बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित है...

यही गिरी थी कोहनी

ऐसी मान्यता है कि मां हरसिद्धि महान सम्राट विक्रमादित्य की कुलदेवी हैं और वे उनकी पूजा विधि-विधान से करते थे। जिसकी वजह से विक्रमादित्य को दिव्य वरदान भी प्राप्त हुआ था। बताया जाता है कि इस स्थान पर माता सती की कोहनी गिरी थी। अब यहां एक भव्य मंदिर देखने मिलता है। जहां हर साल ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। 

11 बार काटा शीश

राजा विक्रमादित्य मां के बहुत बड़े भक्त थे। उन्होंने अपनी कठिन तपस्या और भक्ति से मां हरसिद्धि को प्रसन्न किया था। ऐसी भी मान्यता है कि उन्होंने मां को 11 बार अपना शीश काटकर चढ़ायाए उनकी भक्ति से मां हरिसिद्ध अति प्रसन्न हुईं और उन्हें वरदान दिया।  

पुनः आती हैं उज्जैन

ऐसा भी कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य उन्हें गुजरात से लाए थे। उनका मानना है कि आज भी माता गुजरात के हरसद गांव में स्थित मंदिर में जाती हैं और शाम को पुनः उज्जैन आती हैं। जिसकी वजह से यहां संध्या आरती का बेहद महत्व है।  

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